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Showing posts from November, 2019

Hindi Poetry : दोपहरी में उजाला न देख पाना

कितना  अजीब सा लगता है भरी दोपहरी में उजाला न महसूस करना आपकी आँखों के  सामने पसर जाता है घुप्प अँधेरा सिर्फ अँधेरा आपके लिए दुनिया का मतलब ही बदल जाता है आप सिर्फ आप रह जाते हैं आपके अपने केवल आवाज बन कर रह जाते हैं आप फूल की खूबसूरती  को देख नहीं सकते बस उसे गंध या स्पर्श से पहचानने की कोशिश  करते है हवा की सरसराहट आप को छू कर निकल जाती है बारिश आपके तन को भिगो कर चली जाती है आप उसे देख  नहीं देख नहीं सकते कल तक जो आपके आराध्य की मूर्ति थी जिस पर घंटों ध्यान लगाते थे अपना आकार खो देती है. बहुत मुश्किल है इस यातना से गुजरना .              -प्रदीप गुप्ता

Hindi Poetry : हाईवे पर पड़ा घायल आदमी

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हाईवे पर पड़ा घायल आदमी . कल हाईवे पर ड्राइव कर रहा था दूर देखा एक आदमी एसयूवी की चपेट में आ गया पता नहीं कैसे यह बंदा हाईवे पर आ गया था शायद उसका बुरा वक़्त उसे खींच लाया था ख़ून से सना वो आदमी तड़प रहा था दूर तलक उसके ख़ून से लकीरें खिंच गयी थीं एसयूवी वाला तो रुका ही नहीं सीधे भाग गया था. यह मानवीय समवेदना का संक्रमण काल है इसलिए सैकड़ों वाहन गुजर गए किसी ने रूकने की ज़हमत नहीं उठाई अपना मन नहीं माना शोल्डर पर गाड़ी लगाई अकेले कुछ भी करना सम्भव नहीं था इसलिए अपनी शर्ट उतार कर हिला हिला कर वाहनों को रोकने की कोशिश की बमुश्किल तमाम एक कार रुकी ड्राइव करने वाला पूछता है यह हिंदू है या मुसलमान ? मैंने उससे कहा,’रूक क्यों गए आदमी की और भी क़िस्में हैं पारसी , ईसाई , यहूदी , बौद्ध , सरदार तो आप उसका मजहब देख कर फ़ैसला करेंगे कि उसकी मदद करनी चाहिए?’ उसने सड़ा सा मुँह बनाया और आगे बढ़ गया मैं मायूस होने ही  लगा था तभी उधर से सड़क मरम्मत करने वाला गैंग निकल रहा था हाथ में बेलचे , कुदाल और फावड़े थे बिना कुछ कहे सुने उन सबने  ख़ून से लथपथ आदमी को उठाय...

Hindi Poetry : नदी

नदियों ने दिया क्या है नदियों को दिया क्या है. नामिक ग्लेशियर की तलहटी में खड़ा हो कर मैं जब रामगंगा से अँजुरी में जल भरता था ऐसा लगता था जैसे अमृत समा गया हो ताज़गी, ऊर्जा और सुचिता का अलग ही अहसास हुआ करता था वहाँ से थल तक कितनी बार पदयात्रा की उस दौरान पत्थरों से टकराता जल , ऐसा लगता था जैसे दूध बह रहा हो नदी के दोनों ओर घने जंगल पूरी तरह से अपनी हरियाली के लिए नदी  पर आश्रित होते हैं आगे  जा कर नदी का जल बस्तियों , वनस्पति , जीव जंतुओं और आदमी के लिए प्राण बन जाता है.  कमोवेश यही कहानी दुनिया भर की सारी नदियों की है. पर इसके बदले हमने नदी को क्या दिया है स्नान  करते समय हम श्लोक पढ़ते हैं : ‘ॐ गंगे चैव जमुने गोदावरी सरस्वती, नर्मदे , सिन्धु, कावेरी जले असमिन  कुरू’ साथ ही घर का कचरा , प्लास्टिक ,मलमूत्र, फ़ैक्टरियों का ज़हरीला अवशिष्ट सब कुछ इसमें बहा देते हैं मुझे तरस आता है उन लोगों पर जो गंगा और दूसरी नदियों को माँ कहते नहीं अघाते मगर उन्हें नाले में तब्दील करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. कभी सोचा भी है जब नदी ही नहीं बचे...

Hindi Poetry : जंगलों की मौत

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जंगलों   की   मौत   पर   अब   शोक   गीत   नहीं   लिखे   जाते   इन   दिनों   जंगलों   की   मौत   का   सिलसिला   चल   रहा   है   हरेक   के   लिए   शोक   गीत   लिखना   सम्भव   नहीं   है  . पहले   इन   शोक   गीतों   को   सुन   कर   लोगों   की   संवेदनाएँ   जग   जाती   थीं   आँखों   में   पानी   आ   जाता   था   कई   लोग   तो   बाक़ायदा   सड़क   पर   निकल   आते   थे .  कवि   लिख   कर   करे   भी   तो   क्या   करे   अगर   शोक   गीत   लिख   भी   दिया   तो   उसे   कौन   छापेगा धोखे   से   छप   भी   गया   तो   उसे   पढ़ने   की   फ़ुरसत   किसे   है   ...

Hindi Poem : क़लम

क़लम कुछ दिनों से साहित्यकारों ने अपने क़लम डाल दिए हैं  या यों भी कह सकते हैं कि क़लम से काम लेना बंद कर दिया है  कुछ साल पहले जिनकी क़लम आग उगला करती थी  इन दिनों उससे धुआँ भी नहीं निकलता. आप पूछेंगे अचानक यह कैसे हो गया? इन दिनों साहित्यकारों ने  क़लम की जगह थाम लिए हैं मोबाइल  अब उँगलियाँ काग़ज़ की जगह फिसलती रहती हैं  नोट-पैड पर  अब ये उँगलियां शब्दों को आकार नहीं देतीं हैं  ये ढूँढती हैं किसी फ़ैक्टरी में गढ़े हुए शब्दों को  बस फिर दनादन अपने मित्रों की सूची को  ये गढ़े शब्द गोलियों की तरह दाग देती हैं . अगर आप साहित्यकार हैं  सच बोलिएगा  आप घटनाक्रम को देख और सुन कर  कब से आपने अपना सिर नहीं खुजाया है  हैरान और परेशान नहीं हुये हैं  तो फिर आप भला क़लम क्यों उठाएँगे  बस आपकी उँगलियाँ वट्सअप पर  घूमती रहेंगी चुटकुले और अर्धसत्य खोजने और उन्हें  आगे बढ़ाने में .               - प्रदीप गुप्ता 

Goods Transportation : Disruption In Offing

Uber disrupted taxi business world over few years back. it is now very easy to find quick option of getting a car on hire from standard to luxury , or if you are traveling with family or heavy suitcases, you may choose an SUV or a van. Now the similar disruption is not far away in goods transportation sector. And by the way Kenya shown a way. An App for goods transport ! Lori Systems was co-founded in 2016 to simplify the fragmented and notoriously inefficient trucking industry. The relative cost of moving goods in East Africa happens to be  one of the highest in the world, leading to up to 75% of a product cost's going to logistics (compared to 6% in America). Lori Systems  enables the logistics space to operate at an order of magnitude more efficiently than it does today. Higher efficiency through  Lori Systems  has been demonstrated to drive costs down which, in turn is expected to create new jobs & stimulate overall economic development in a tangible way...

Hindi Poem : कई बार हम दूसरों के वेदना में सुख पा लेते हैं

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कई बार हम दूसरों की  वेदना में सुख पा लेते हैं कभी पत्ता बन कर देखो तब पता लगेगा कि फाल* के मौसम में कितना वेदनापूर्ण होता है अपने पित्रवत पेड़ से जुदा हो जाना सर्द हवाओं और जाड़े के प्रकोप से तिल-तिल सूखना , सिकुड़ना , कृषकाय होते जाना और जब आपकी चमकती क़ाया अतीत बन जाती है. कितना अजीब लगता है लोग पत्ते को आस्तित्व  विहीन होने की प्रक्रिया में  तेजी से हरे से   पीले, लाल , गाढ़े मटमैले , बैगनी रंगों  में बदलते देख कर आह्लादित होते हैं फ़ॉल कलर# का सुख पाते है पत्ते का दुःख दर्द किसे पता होता है .              शब्द और छाया प्रदीप गुप्ता , स्थान : यही कहीं लंदन *fall winter season # Fall colors