Hindi Poetry : नदी

नदियों ने दिया क्या है नदियों को दिया क्या है.

नामिक ग्लेशियर की तलहटी में खड़ा हो कर
मैं जब रामगंगा से अँजुरी में जल भरता था
ऐसा लगता था जैसे अमृत समा गया हो
ताज़गी, ऊर्जा और सुचिता का अलग ही अहसास हुआ करता था
वहाँ से थल तक कितनी बार पदयात्रा की
उस दौरान
पत्थरों से टकराता जल ,
ऐसा लगता था जैसे दूध बह रहा हो
नदी के दोनों ओर घने जंगल
पूरी तरह से अपनी हरियाली के लिए नदी  पर आश्रित होते हैं
आगे  जा कर नदी का जल
बस्तियों , वनस्पति , जीव जंतुओं और आदमी के लिए प्राण बन जाता है.
 कमोवेश यही कहानी दुनिया भर की सारी नदियों की है.
पर इसके बदले हमने नदी को क्या दिया है
स्नान  करते समय हम श्लोक पढ़ते हैं :
‘ॐ गंगे चैव जमुने
गोदावरी सरस्वती, नर्मदे , सिन्धु, कावेरी जले असमिन  कुरू’
साथ ही घर का कचरा , प्लास्टिक ,मलमूत्र, फ़ैक्टरियों का ज़हरीला अवशिष्ट
सब कुछ इसमें बहा देते हैं
मुझे तरस आता है उन लोगों पर
जो गंगा और दूसरी नदियों को माँ कहते नहीं अघाते
मगर उन्हें नाले में तब्दील करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
कभी सोचा भी है
जब नदी ही नहीं बचेंगी तो हम कहाँ से बच पाएँगे ?
जाओ कभी यूरोप की नदियों को जा कर देखो
वहाँ कोई नदी की पूजा करने का स्वाँग नहीं रचता
लेकिन उन्हें साफ़ रखना अपनी व्यक्तिगत ज़िम्मेवारी समझता है.

Comments

Popular posts from this blog

Is Kedli Mother of Idli : Tried To Find Out Answer In Indonesia

A Peep Into Life Of A Stand-up Comedian - Punit Pania

Searching Roots of Sir Elton John In Pinner ,London