नफ़रत कारोबार Hindi Ghazal
नफ़रत क्यों कारोबार क्यों इतनी चीख पुकार भय्या राम भरोसे नफ़रत बन गयी कारोबार भय्या राम भरोसे केवल कुछ धन - पति हो रहे और धनपति पर जनता है बेजार भय्या राम भरोसे मूल्य हमारे ध्वस्त हो रहे इक इक करके जीवन बना व्यापार भय्या राम भरोसे काम भले हो या ना फिर भी जमे हुए हैं तगड़ा बहुत प्रचार भय्या राम भरोसे महँगे ईंधन के कारण अब महँगा सब कुछ कैसे चल पाएगा परिवार भय्या राम भरोसे ऐसा लगता मुझको चुनाव क़रीब कहीं है ...