नफ़रत कारोबार Hindi Ghazal
नफ़रत क्यों कारोबार
क्यों इतनी चीख पुकार भय्या राम भरोसे
नफ़रत बन गयी कारोबार भय्या राम भरोसे
केवल कुछ धन- पति हो रहे और धनपति
पर जनता है बेजार भय्या राम भरोसे
मूल्य हमारे ध्वस्त हो रहे इक इक करके
जीवन बना व्यापार भय्या राम भरोसे
काम भले हो या ना फिर भी जमे हुए हैं
तगड़ा बहुत प्रचार भय्या राम भरोसे
महँगे ईंधन के कारण अब महँगा सब कुछ
कैसे चल पाएगा परिवार भय्या राम भरोसे
ऐसा लगता मुझको चुनाव क़रीब कहीं है
सुनलो अपनी जै जै कार भय्या राम भरोसे
अगर व्यवस्था से आजिज़ हो गए आप भी
फिर भर लो हुंकार भय्या राम भरोसे
सच्चाई से छिप कर घर में बैठे रह कर
कैसे मिल पाए अधिकार भय्या राम भरोसे
निबट गए चुनाव नतीजे भी हैं सम्मुख
अब तेरी किसे दरकार भय्या राम भरोसे
धंधे धीमे पड़े और ख़रीदी ढीली ढाली
हो गए अब बेरोज़गार भय्या राम भरोसे
किसी समस्या का हल केवल बातचीत है
फिर क्यों जूतम पैजार भय्या राम भरोसे
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