जो कुछ मिला है हमको Hindi Poetry
जो भी नहीं मिला
जो कुछ न मिल सका उसका गिला रहा
जो मिल गया उसको सम्भाला नहीं गया
सींचा था जिन को खून पसीने की खाद से
उन दरख़्तों पे अब अपना ठिकाना नहीं रहा
जो लोग जिया करते थे औरों के वास्ते
क्यों आज पूछते हैं वो ज़माना कहाँ गया
वो ही वड़ा पाव है वो ही कटिंग की चाय
हम पे स्टार-बक्स का जादू नहीं चला
हम रोज़ चले जाते थे पूछने को हाल
वो ठीक हो गए हैं कोई बहाना नहीं रहा
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