जो पल मिले हैं Hindi Poetry
जो पल मिले हैं
बारिश भी गिर रही थी बहुत तेज रात से
आँखें न लग सकीं तेरे आने की आस से
जो पल मिले हैं हम को जी लें इन्हें ज़रा
हो जाएँगे बहुत दूर ये फिसले जो हाथ से
सूनी गली भी अब तो मुझे ख़ुशनुमा लगें
महकी हुई फ़िज़ा है तेरे आने की बात से
टुकड़ों में बंट गया हूँ जरा देख ले इधर
हर बार खेलता है क्यों तू मेरे एहसास से
दोहरा रहे हैं आजकल क्यों लोग गलतियां
सीखा नहीं जरा सा सबक़ इतिहास से
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