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Showing posts from February, 2021

Hindi Satire दोस्ती के आंसू

दोस्ती के आंसू  जब भी स्वाद की बात चलती है तो बेसाख़्ता मुँह में पानी आ जाता है . स्वाद के पाँच मुख्य अवयव होते हैं : खट्टा, मीठा , तीखा , चरपरा और कड़वा. इन्ही के जोड़ तोड़ से से स्वाद की सैकड़ों हज़ार क़िस्में तैयार होती हैं . दिल्ली में घंटेवाले की जलेबी , बरेली में किप्पस का समोसा , हज़रतगंज लखनऊ की टोकरी चाट , ताज होटल के पीछे बड़े मियाँ की बिरयानी  , लखनऊ में टूँडे के कबाब , बॉम्बे सेंट्रल में सरदार की पाव भाजी , मेरठ में बेगमपुल की ग़ज़क , मुरादाबाद में बाबू राम की इमरती , मक्डोनल्ड का बर्गर, स्टॉरबक्स की काफ़ी ये वे चंद स्वाद हैं जो आपके जहां में बस जाते हैं . मुझे लगता है जब आप लम्बे समय तक किसी चीज़ का स्वाद याद रख पाते हैं तो निश्चित उसकी कन्सिस्टेन्सी  और उसके इंग्रीडीयंट्स का अनुपात बड़ी वजह होती है .  यह भी सच है कि स्वाद का विकास एक लम्बे समय के बाद परिपक्व होता है . अपनी माँ के हाथ का बना स्टफ़ पराठे का स्वाद बीबी मेहनत करके भी रि-क्रिएट नहीं कर पाती है. विभिन्न क्षेत्रों , अंचलों और देशों के लोगों को संतुष्टि तभी हो पाती है जब उनकी ज़बान पे चढ़े स्वा...

साज़िशें : हिंदी ग़ज़ल Hindi Ghazal

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साज़िशें   फ़ज़ाओं   में   हैं   ख़तरा   बहुत   बड़ा   है   फिर   भी   अज़ीम   शान   से     बूढ़ा   शजर *  खड़ा   है   क्या   कुछ   बिगाड़   पाएँगे   मिल   के   तमाम   लोग   जब   आदमी   ने   सोच   लिया   वो   चिकना   घड़ा   है   जीवट   बहुत   ये   आदमी     गौर   से   देखें   इसको   किस   तरहा   गमें   दौरां   से   जम   के   लड़ा   है   यह   फ़ैसला   है   आपका   क्या   कुछ   करेंगे   आप   कुछ   पल   विचार   लेना   इम्तिहान   बहुत   बड़ा   है   सच   सामने   हो   और   आप   को     नज़र   नहीं   आए   परदा   समझ   लीजिए   लालच   का   पड़ा   है   23.02.2021. 

Hindi Satire : संस्कारी दामाद

संस्कारी दामाद  हमारे मित्र शर्मा जी के लिए उनके माता पिता उनके लिए एक अच्छा मैच तलाशने में जुटे हुए थे , लेकिन कभी कोई लड़की शर्मा जी को पसंद आती तो लड़की ना पसंद कर देती , कोई लड़की उन्हें पसंद करती तो शर्मा जी को पसंद नहीं आती . फिर अचानक एक ऐसा मैच सामने आया शर्मा जी को पहली नज़र में लड़की भा गयी और लड़की को शर्मा जी . लेकिन विवाह के आड़े एक छोटी सी चुनौती आ गयी , लड़की का परिवार बेहद संस्कारी था , वे ऐसे लड़के की तलाश में थे जो उन्ही की तरह संस्कारी हो , न मीट खाता हो न ही दारू पीता हो . शर्मा जी ने लड़की वालों के सामने ‘आई शपथ’ कह कर अपने आप को सौ टका संस्कारी बता दिया . बस लड़की के पक्ष के लोग उनकी इस अदा पर क़ुर्बान हो गए, आनन फ़ानन में मुहूर्त निकलवाया गया और शादी की तारीख़ पक्की हो गयी . शर्मा जी के सभी  मित्र उन्हीं की तरह पूरी तरह ग़ैर-संस्कारी थे . इसलिए शर्मा जी ने अपनी शादी में एक भी मित्र आमंत्रित नहीं किया , हाँ , शादी की खबर को सेलिब्रेट करने के लिए हम सब को खंडाला के पास एक रिज़ॉर्ट में ज़बरदस्त पार्टी दी , जिसके लिए ख़ास एयरपोर्ट की ड्यूटी फ़्री शॉप से जुगा...

प्यार में कश्ती की तरह

मेरा   वजूद   इक   कश्ती   की   तरह   प्यार   में   बहता   है   कभी   डूबता   है   कभी   उबरता   है     कभी   ठहरता   है   अजीब   पशोपेश   है   गुमसुम   रहें  ,  उफ़   भी   न   करें   और   ज़बाँ   खुल   ना   सके   प्यार   मोहब्बत   में   सुनते      हैं   अब   भी     यही   होता   है   कितना   मुश्किल   है   किसी   प्यार   का   परवाज   पे   चढ़ना   खुद   को   लोबान   बनाया   तो   कहीं   प्यार   मेरा   महका     है   वो   क्या   सोच   के   मेरी   तलाश   में   निकला   था   प्रदीप   अब   देख   के     हैरान   है     उसको     जो     दिल   में   रहत...

4G के दौर में लैंडलाइन फोन के युग की बात

4G  के   दौर   में   लैंडलाइन   टेलीफ़ोन   की   याद   इन   दिनों   दूरभाष  4G  से  5G  पर   छलांग   लगाने   की   प्रक्रिया   में   है  .  अभी   तो  4G  पर   ही   हैं   और   लोग   बाग   रात   दिन   मोबाइल   से  चिपके   रहते   हैं  .  ऐसे   माहौल   में   लैंडलाइन   फ़ोन   के   स्वर्णिम   युग   की   बात   करना   कुछ   कुछ   ऐसा   ही   लगता   है   जैसे   किसी  ड्रीमलाईनर   में   बैठे   हुए   बरसों   पहले   गाँव   में   बैलगाड़ी   यात्रा   को   याद   कर   लिया   जाए  .  यह   सही   है   आज   के   हाईएंड   माडल  मोबाइल   के   सामने   पुराने   जमाने   के   लैंड  ...