Hindi Satire दोस्ती के आंसू
दोस्ती के आंसू जब भी स्वाद की बात चलती है तो बेसाख़्ता मुँह में पानी आ जाता है . स्वाद के पाँच मुख्य अवयव होते हैं : खट्टा, मीठा , तीखा , चरपरा और कड़वा. इन्ही के जोड़ तोड़ से से स्वाद की सैकड़ों हज़ार क़िस्में तैयार होती हैं . दिल्ली में घंटेवाले की जलेबी , बरेली में किप्पस का समोसा , हज़रतगंज लखनऊ की टोकरी चाट , ताज होटल के पीछे बड़े मियाँ की बिरयानी , लखनऊ में टूँडे के कबाब , बॉम्बे सेंट्रल में सरदार की पाव भाजी , मेरठ में बेगमपुल की ग़ज़क , मुरादाबाद में बाबू राम की इमरती , मक्डोनल्ड का बर्गर, स्टॉरबक्स की काफ़ी ये वे चंद स्वाद हैं जो आपके जहां में बस जाते हैं . मुझे लगता है जब आप लम्बे समय तक किसी चीज़ का स्वाद याद रख पाते हैं तो निश्चित उसकी कन्सिस्टेन्सी और उसके इंग्रीडीयंट्स का अनुपात बड़ी वजह होती है . यह भी सच है कि स्वाद का विकास एक लम्बे समय के बाद परिपक्व होता है . अपनी माँ के हाथ का बना स्टफ़ पराठे का स्वाद बीबी मेहनत करके भी रि-क्रिएट नहीं कर पाती है. विभिन्न क्षेत्रों , अंचलों और देशों के लोगों को संतुष्टि तभी हो पाती है जब उनकी ज़बान पे चढ़े स्वा...