Hindi Poetry : मैं अदब हूँ तिरा आइना हूँ .........
मैं अदब हूँ मैं अदब हूँ तिरा आइना हूँ जो घट रहा है वो सब देखता हूँ . नहीं कान मेरे जो दे कुछ सुनाई न दुखियों के क्रंदन न भूखे की आह . न मैं सुन सकूँ बेबसी के चर्चे किस तरह चल रहे आज लोगों के खर्चे न मुफ़लिस की पीड़ा न मासूम चीखें भले सुन सकूँ न मुझे साफ़ दीखें मैं सजग हूँ भले आइना हूँ जो घट रहा है वो सब सोचता हूँ . अगर आदमी हो हाथ सीने पे रक्खो न महसूस हो तो आइना बन के ...