ज़िन्दगी में चालीसवें पड़ाव के मायने
ज़िन्दगी में चालीसवें पड़ाव के मायने आज अचानक मुझे एहसास हुआ कितना महत्वपूर्ण होता है उम्र का पड़ाव का चालीसवाँ पड़ाव जहां न आप युवा रहते हैं न अधेड़. लो, उम्र का संक्रमण काल आ गया. आप को जहां से अपने माता पिता की देखभाल करनी पड़ती है शिशु जैसी. नख़रे बढ़ते जाते हैं तेज़ी से किशोर होते हुए आपके बच्चों के. पति के बालों में चाँदी की परतें आ जाती हैं थोड़ी थोड़ी चाँद भी चमकने लगती है और प्यार के साथ जगह ले लेने लगती है समझदारी भी! अजीब हाल है अब दोस्त न आपको बुजुर्ग मानते हैं न ही युवा . आफिस में आप बॉस तो हैं मगर बॉस जैसी उम्र नहीं इस लिए बास के रूप में स्वीकार्यता बनाने के लिए करनी पड़ती है जिद्दोजहद. अपनी बकेट सूची से आइटम काटने में ज़रा तेज़ी आ जाती है . हार्ड ड्रिंक की जगह बनाने लगते हैं अचानक स्वास्थ्य पेय. विवाद भरे घर में आ जाते हैं मेडिटेशन और योगा. पर इसका अलग ही मज़ा है , कुछ होने और पाने का संधिकाल. ...