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Showing posts from February, 2012

उत्तर प्रदेश में कांवरियों का नेशनल हाइवे पर कब्ज़ा

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मेरा विचार है कि  धर्म व्यक्ति को एक बेहतर इन्सान बनाने का माध्यम है. हमारे पुरखों ने समाज की व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए जितने भी कायदे और  कानून संभव हो सकते थे उन्हें धर्म का आवरण पहना कर एक ऐसा रूप प्रदान कर दिया जिससे साल दर साल एक नियमवद्ध शासन व्यस्था चलती रही है. लेकिन हाल ही में हरिद्वार यात्रा के दौरान मुझे लगा कि कि अब पुरखों द्वारा तय की गयी व्यवस्था को तोड़ मरोड़ कर आम नागरिक को थोक के भाव से सताया जा रहा हैऔर उसमें हिम्मत नहीं की इसके खिलाफ आवाज़ उठा सके. शिव का नाम बदनाम : सड़क पर अव्यवस्था  एक बरसों  लम्बे अंतराल के बाद शिव रात्रि  से कोई पांच दिन पूर्व , मेरा कार द्वारा बरेली से हरिद्वार जाने का निर्णय जरा इमोशनल था. इस यात्रा के बीच पड़ने वाले कई गाँव , कस्बों और शहरों के साथ मेरा बचपन जुड़ा हुआ है, रामपुर, मुरादाबाद, कांठ, सहसपुर, धामपुर, नगीना और यहाँ तक कि नजीबाबाद तक यादों का एक खूबसूरत हजूम है. रास्ते भर रोड को देख  कर लगता है कि चाँद जमीं पर उतर आया है, यानि   सड़क बड़े बड़े क्रेटरों...

ghazal ke chand sher

अच्छा  हुआ  जो  तुमने  बेवफाई   की,  इसी बहाने वफ़ा का मतलब समझ गए . दोस्तों ने कुछ इस तरह से  निबाही  दोस्ती  दुश्मनी क्या है हम  अब  समझ  गए . घर से  चले  थे मंजिल की  तलाश में   मंजिल तो यहीं थी वेवजह  भटक गए  कौन लेगा अब नाम शराफत का  शरीफ लोग ही जब इतने बदल गए 

मेरे मित्र अतुल अग्रवाल और उनका साहित्य प्रेम

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अभी अभी मैं महाराष्ट्र राज्य उर्दू अकादमी और हल्का- ऐ-  शेर- ओ -अदब की जानिब से आयोजित आल इंडिया मुशायरा से बापस लौटा  हूँ. इस की खास बात यह थी कि सदारत के लिए मेरे बचपन के दोस्त अतुल अग्रवाल को बुलाया गया था. उस से भी ख़ास यह कि इस मौके पर कई शायरों को सम्मानित किया गया और अतुल को दुष्यंत कुमार की याद में शुरू किये गए सम्मान से महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के  मंत्री नसीम खान  द्वारा नवाज़ा  गया. अतुल मेरे बचपन के दोस्त हैं. मुझे याद है  कि बचपन में भी उन्हें अच्छी शायरी  पढ़ने का शौक हुआ करता था, दुष्यंत से ले कर कुंवर बेचैन तक की शायरी उन्हें याद रहती थी. हम चंदौसी क्लुब की सीड़ीयों पर शाम को बैठते   थे  सुनना और सुनाना दोनों में कब शाम गुजर जाती पता ही नहीं चलता था. चंदौसी  बहुत पीछे छूट गया. लेकिन जिन्दगी की जिद्दोजहद के वावजूद  मेरा जर्नलिज्म और लेखन से जुड़ाव बना रहा. धीरे धीरे रस्ते बदले, अतुल अपना करिअर बनाने दिल्ली और फिर वहां से बम्बई  निकले, करिअर की आपाधापी में मुझे लगता था कि अतुल क...

Best Indian Photographer of the Year 2011

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For many people taking picture is as simple as photocopying, but frankly speaking photography is a very serious art, it is a play of passion, colour and emotions. A subject can be viewed from various angle, right kind of moments can be captured by observing for n number of minutes a. That is why a photo speaks a lot like a story.  Better Photography magazine has taken the challenge of finding best out of a photographer, organising  'Photographer of the  year 2011 contest. I am watching this contest from last few years, gradually it is becoming bigger in scale as well as pomp and show. This year Canon joined the magazine as co sponsor.   Years' Themes This year the competition was divided in eight categories. Eight different themes were chosen  to find the best talent in different genres of photography. Each of the eight themes were open to interpretation. Choosing the best entries was not easy. Each image was a potential winner. Yet, the ones that...