उत्तर प्रदेश में कांवरियों का नेशनल हाइवे पर कब्ज़ा
मेरा विचार है कि धर्म व्यक्ति को एक बेहतर इन्सान बनाने का माध्यम है. हमारे पुरखों ने समाज की व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए जितने भी कायदे और कानून संभव हो सकते थे उन्हें धर्म का आवरण पहना कर एक ऐसा रूप प्रदान कर दिया जिससे साल दर साल एक नियमवद्ध शासन व्यस्था चलती रही है. लेकिन हाल ही में हरिद्वार यात्रा के दौरान मुझे लगा कि कि अब पुरखों द्वारा तय की गयी व्यवस्था को तोड़ मरोड़ कर आम नागरिक को थोक के भाव से सताया जा रहा हैऔर उसमें हिम्मत नहीं की इसके खिलाफ आवाज़ उठा सके. शिव का नाम बदनाम : सड़क पर अव्यवस्था एक बरसों लम्बे अंतराल के बाद शिव रात्रि से कोई पांच दिन पूर्व , मेरा कार द्वारा बरेली से हरिद्वार जाने का निर्णय जरा इमोशनल था. इस यात्रा के बीच पड़ने वाले कई गाँव , कस्बों और शहरों के साथ मेरा बचपन जुड़ा हुआ है, रामपुर, मुरादाबाद, कांठ, सहसपुर, धामपुर, नगीना और यहाँ तक कि नजीबाबाद तक यादों का एक खूबसूरत हजूम है. रास्ते भर रोड को देख कर लगता है कि चाँद जमीं पर उतर आया है, यानि सड़क बड़े बड़े क्रेटरों...