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Showing posts from March, 2021

चारण भाट के नए अवतार Hindi Satire

चारण और भाट के नए अवतार  हमारे देश में पुराने जमाने में राज दरबारों में राजा के इर्द गिर्द चारण और भाट रहा करते थे , जिनका बुनियादी काम राजा की स्तुति और चरण वंदना होता था . वे राजा को रोज़ नए नए विशेषणों से नवाजते थे . राजा की वीरता , दयानतदारी और शौर्य के ऐसे ऐसे क़िस्से बना कर प्रस्तुत करते थे कि पूरा  का पूरा दरबार तालियों  से गूंजने लगता था . देखा जाए तो इस क़वायद का यही मूल उद्देश्य भी होता था .  एक नमूना देखिए ये चारण राजा को किस तरह खुश करते थे . एक दिन राजा लंच में बैंगन की सब्ज़ी खा कर आया था , पता नहीं ख़ानसामे ने बहुत ही घटिया तरीक़े से पकाई थी , राजा ने इस बारे में दरबार में चर्चा की . चारण फ़ौरन बोल उठा , साहब इसी लिए बैंगन  को हमारे तरफ़ के गावों में बैगुन बोलते हैं . और साहब प्रकृति ने इसे एक दम बदसूरत काला कलूटा बनाया है . तालियाँ बजीं और चारण का दिन बन गया. इस घटना के कुछ महीने बाद ख़ानसामे ने फिर से बैंगन की सब्ज़ी बनाई , इस बार राजा को बहुत पसंद आयी . राजा ने इस बारे में दरबार में ज़िक्र किया . चारण दरबार में मौजूद था , उसने राजा से कहा ,’बैं...

Hindi Satire मज़े भांग के

https://anchor.fm/pradeep-gupta11/episodes/ep-etpq45 भांग के मजे आज होली है. भाई लोगों ने इस त्योहार को सीधे सीधे नशे और ख़ास तौर पर भांग के नशे से जोड़ दिया है . उत्तर भारत में तो होली का उत्सव बग़ैर ठंडाई के पूरा नहीं होता और ज़्यादातर लोगों के लिए ठंडाई का अर्थ भांग मिली ठंडाई होता है. भांग के सेवन से लोगों को बड़े बड़े विकट और विलक्षण अनुभव होते हुए देखे गए हैं . पहले मैं अपनी आप बीती सुनाता हूँ . बात यही कोई चालीस साल पहले की है , मेरे एक मित्र ने अपने घर होली की पार्टी रखी थी, पारिवारिक आयोजन था इसलिए दारू नहीं थी पर ठंडाई थी . मित्र ने जाते ही मुझे ठंडाई का गिलास पकड़ा दिया . मैंने गिलास लौटाते हुए विनम्रतापूर्वक उनसे कहा ,’ मैं भांग का सेवन नहीं करता हूँ .’ मित्र ने माँ की क़सम खाई और कहा ,’ भाई साहब इसमें भांग नहीं डाली है .’ बंदा माँ की क़सम खा रहा था , इसका मतलब सच बोल रहा होगा , फिर भी डर तो था ही , डरते डरते दो घूँट पिए और फिर  गिलास को चुपचाप टेबिल  के नीचे बहा दिया.  पार्टी में बहुत क़िस्म के स्नैक्स  थे ,  ख़ास तौर पर आलू की टिक्की बहुत ही अच्छी ...

करोना काल की होली poetry on Holi

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मिल   भी   न   सके   न   रंग   है   न   नूर   का   निखार   इस   बार   यार   होली   में   जारी   है   करोना   का   प्रहार   इस   बार   यार   होली   में   घुमाते   रहो   फ़ोन   सभी   रिश्तेदारों   और   मित्रों   को   जमे   रहो   घर   में   चुपचाप   इस   बार   यार   होली   में   रंग   खेलने   में   जान   का   जोखिम   है   सम्भल     के   रहना   क्यों   बनना   करोना   का   शिकार   इस   बार   यार   होली   में   उदास   मन   है   अगर   कोई   आया   नहीं   गुजिया   खाने   कुरियर   कर   दो   यह   उपहार   इस   बार   यार   होली   में   गले   नहीं   मिलना   हुआ   तो ...

फटी जीन्स या फटा सोच Hindi Satire

फटी   जीन्स   और   फटा   सोच   पिछले   कई   वर्षों   से   मुझे   लगातार   अमरीका   और   यूरोप   में   घूमने   फिरने   और   वहाँ   के   लोगों   के   साथ   संवाद   का     अवसर   मिला है  .  साथ   ही   साथ   वहाँ   तेज़ी   से   बदलते   फ़ैशन   को   भी   क़रीब   से   देखने   का   मौक़ा   मिलता   रहा   है  .  वहाँ   के   हर   आयु   वर्ग   के महिलाओं   और   पुरुषों     के   अनौपचारिक   पहनावे   में   जीन्स     पहली   पसंद   मानी   जाती   है  .  अमेरिका   में   पुराने   जमाने   में   मज़दूर नीले   रंग   की   जीन्स   पहना   करते   थे  ,  मजदूरों   की   पोशाक   का   धड़ ...

Hindi Ghazal मैं अगर .........

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मैं   अगर   मैं   अगर   सच   देखना   चाहूँ   नहीं   मेरी   आँखों   का   भला   क्या   दोष   है   जिस   तरह   बदले   हुए   हालात   हैं   आप     मानें   या   न   मानें   रोष   है   आदमी   को   आदमी   से   बाँटना   आप   ही   बतलाइए   क्या   सोच   है  ?  कारवाँ   खुद   ही   बहुत   आगे   बढ़ेगा   इन   युवाओं   के   हृदय   में   जोश   है   वायदे   करना     मुकरना   आदतों   में   है   शुमार   उसकी   नीयत   में   कहीं   तो   खोट   है   उसको   लगता   है   कोई ,    उसको   देखेगा   नहीं वो   भरम   में   है   कि   वो   तो   पर्दगी   की   ओट   है   जो   नशा   सत्त...