फटी जीन्स या फटा सोच Hindi Satire
फटी जीन्स और फटा सोच
पिछले कई वर्षों से मुझे लगातार अमरीका और यूरोप में घूमने फिरने और वहाँ के लोगों के साथ संवाद का अवसर मिलाहै . साथ ही साथ वहाँ तेज़ी से बदलते फ़ैशन को भी क़रीब से देखने का मौक़ा मिलता रहा है . वहाँ के हर आयु वर्ग केमहिलाओं और पुरुषों के अनौपचारिक पहनावे में जीन्स पहली पसंद मानी जाती है . अमेरिका में पुराने जमाने में मज़दूरनीले रंग की जीन्स पहना करते थे , मजदूरों की पोशाक का धड़ से नीचे का यह हिस्सा कब फ़ैशन स्टेटमेंट बन गया यहतो शोध का विषय हो सकता है लेकिन एक तथ्य यह है कि जीन्स को लेकर फ़ैशन डिज़ाइनरों ने जितने प्रयोग किए हैं वेशायद ही किसी अन्य ड्रेस में हुए हों . फ़ैशन डिज़ाइनरों ने इसके दूसरे कलर वेरियेंट भी बनाए हैं लोग उन्हें पहनते हैं कुछदिनों के बाद लौट फिर कर वापस नीली जींस पर आ जाते हैं .
पिछले कुछ वर्षों पहले जीन्स को बनाने की प्रक्रिया में ऐसिड वाश करने का सिलसिला शुरू हुआ था , इसका मक़सदसम्भवत: यह दिखाना रहा हो कि यह जीन्स काफ़ी पुरानी है , बाद में ऐसिड वाश जीन्स को जगह जगह पत्थर पर रगड़रगड़ कर ऐसा प्रभाव देने की कोशिश भी की जाने लगी ताकि ऐसी जीन्स को पहनने वाला बंदा काफ़ी रफ़ टफ लगने लगे, यह और बात है कि ऐसी जीन्स पहनने वाले ज़्यादातर लोग अपनी घर से कार में बैठ कर आफिस और आफिस से वापसवाले रूटीन में ही रहते हैं .
हमारे देश में कई योगा गुरु से व्यापारी बने महापुरुष अपने भाषणों में लगातार जीन्स को लेकर काफ़ी आक्रामक रहे हैंउनका कहना है चुस्त और तंग जीन्स पहनने से भारत जैसे गर्म देशों में पसीना मरने के कारण त्वचा की काफ़ी सारीबीमारियाँ हो जाती हैं . उनके ये भाषण केवल युवाओँ तक ही नहीं वरन जीन्स निर्माताओं तक भी पहुँचने गए थे . उन्हेंअपना माल बेचना ठहरा सो उन्होंने जीन्स को जगह जगह से फाड़ कर कई सारे विंडो बनानी शुरू कर दीं ताकि जीन्स सेढके त्वचा को स्वच्छ हवा मिलने लगे . यह डिज़ाइन इतने आरामदायक थे कि रातों रात हिट हो गए , जिस महिला यापुरुष को देखो वही मल्टी विंडो युक्त जीन्स में घूमने लगा .
लेकिन साहब कुछ लोग बाग ऐसे भी होते हैं जिन्हें दूसरों का आराम बर्दाश्त नहीं होता , उन्होंने इतनी आरामदेह जीन्स कोभिखारियों का पहनावा बताना शुरू कर दिया . यह और बात है कि योग गुरु से बिज़नेस गुरु बने लोगों ने भी मल्टी विंडोवाली जीन्स बेचनी शुरू कर दी हैं . बात यहीं थम जाती तब तो ग़नीमत थी कई संस्कारी नेताओँ ने तो इन फटी जीन्स कोभारतीय संस्कारों के खिलाफ होने का फ़तवा जारी कर दिया . अब कोई इन महान आत्माओं से पूछ ले आप की आँखेंअगर फटी जीन्स के अंदर झांकने की कोशिश करती हैं तो फिर आप को साड़ी पहनी हुई महिला के नाभि तक अनावृत पेटको देख कर क्या फ़ीलिंग होती होगी . जैसे ही संस्कारी नेता ने टिप्पणी की उस पर पर पूरा सोशल मीडिया उबल पड़ा . बात यहाँ तक पहुँच गयी कि उन व नेता जी को दो कदम पीछे हटना पड़ गया. उनकी स्टैंडर्ड सफ़ाई आ गयी कि उनकेकथन को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है . इन दिनों नेताओं के लिए दिक़्क़त यह है कि आप जो कुछ भी बोलते हैं उससब के विडियो पब्लिक डोमेन में रहते हैं इसलिए बाद में दी गयी सफ़ाई में कुछ ख़ास दम खम नहीं रहता है .
अपना मानना है कि फटी जीन्स में इतना गड़बड़ नहीं है जितना कि फटे सोच में है , इसलिए जीन्स से कहीं ज़्यादा फटे सोच को बदलने की ज़रूरत है.
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