बात क्रिसमस की
देखा जाय तो क्रिसमस दुनिया भर के ईसाई भाई बहनों के लिए साल का सबसे बड़ा त्यौहार है. उनके खुशियाँ मनाने का इस से बड़ा कोई मौका नहीं होता है. पूरे बाज़ार सज जाते हैं, माल एक से एक शानदार गिफ्ट आइटम से भरे रहते हैं. ऐसे इसें दुकानदारों की जबरदस्त चांदी. मारकेटवादी अर्थव्यवस्था में त्यौहार, त्यौहार से भी कहीं अधिक बिक्री उत्सव होता है. उदारीकरण के बाद पिछले कई सालों से अपने देश में भी त्यौहार ऐसे ही बिक्री उत्सव बनते जा रहे हैं, धार्मिक भावना पर बाज़ार हावी होता जा रहा है. माल, रेस्ट्रों , होटल, रिसोर्ट दुल्हन की तरह से सज जाते हैं , चर्च में लोग जाते हैं पर अब यह महज रस्म अदायगी जैसा है. पर शायद यूरोप और अमेरिका में यह परिवार को जोड़ने का जरदस्त माध्यम है. पूरा परिवार शायद साल में एक ही बार एक साथ जुटता है. इस लिए क्रिसमस के लॉन्ग वीक-एंड पर सड़क पर इतनी भीड़ नहीं रहती है लोग गाँव या फिर किसी दूरदराज की जगह जाना ज्यादा पसंद करते हैं . चलते चलते एक मजे की बात और, २५ दिसंबर का यह त्यौहार इसा के जन्म के पूर्व से ही मनाया जाता...