रात सिर्फ़ अंधेरा नहीं। : ग़ज़ल Ghazal
रात सिर्फ़ अंधेरा नहीं है रात सिर्फ़ अंधेरा ही नहीं है रात - रानी भी है ये भोर होने तक की छोटी सी कहानी भी है मुहब्बत में पाना ही नहीं कुछ खोना भी है राधा प्रेयसी थी तो मीरा जैसी दीवानी भी है कामयाबी कभी आसानी से मिल जाती नहीं इसके पीछे अंधेरों में छिपी नाकामी भी है मैं अपनी ज़िंदगी से हमेशा गिला क्यों कर करूँ कभी दुःख दे दिया इसने कभी शादमानी भी है ज़िंदगी की साँसें शायरी में झलकती सी दीखें ये लफ़्ज़ों ...