Hindi Poem Dedicated To Old Friends
खुशनुमा यादों का सिलसिला जमाएं चलो पुराने दोस्तों से मिल के तो आएं बीता है अरसा इस अकेले सफर में जिंदगी कट गई सिर्फ पैसे की धुन में मिल गया खूब पैसा, शोहरत भी पायी मगर इस शिखर पर गज़ब की तन्हाई जिधर देखता हूँ लोग नीचे खड़े हैं अदब की है मुद्रा विनम्र दिख रहे हैं मगर बस चले तो नीचे गिरा दें मुझे ठेल कर वे खुद को बिठा दें बनावट से मैं तो तंग आ गया हूँ खुदाया कहाँ से कहाँ आ गया हूँ मुझे याद आ रहा वो गुजरा जमाना दोस्तों के संग बीते पलों का खजाना मिले चाय का इक कप पैसे थे इतने लगाते थे चुस्की सब मिल के उसमें सिगरेट भी होती थी अकेली बिचारी कश खींचते थे उसमें सभी बारी बारी भले कम था पैसा मगर दिल बड़ा था कोई काम उसके बिना न रुका था किताबें पे भी पूरी किसी पे नहीं थीं मिल बाँट पढ़ते कोई कमी नहीं थी ट्यूशन पढ़ाये थे तभी हम पढ़े थे...