Hindi Poem Dedicated To Old Friends
खुशनुमा यादों का सिलसिला जमाएं
चलो पुराने दोस्तों से मिल के तो आएं
बीता है अरसा इस अकेले सफर में
जिंदगी कट गई सिर्फ पैसे की धुन में
मिल गया खूब पैसा, शोहरत भी पायी
मगर इस शिखर पर गज़ब की तन्हाई
जिधर देखता हूँ लोग नीचे खड़े हैं
अदब की है मुद्रा विनम्र दिख रहे हैं
मगर बस चले तो नीचे गिरा दें
मुझे ठेल कर वे खुद को बिठा दें
बनावट से मैं तो तंग आ गया हूँ
खुदाया कहाँ से कहाँ आ गया हूँ
मुझे याद आ रहा वो गुजरा जमाना
दोस्तों के संग बीते पलों का खजाना
मिले चाय का इक कप पैसे थे इतने
लगाते थे चुस्की सब मिल के उसमें
सिगरेट भी होती थी अकेली बिचारी
कश खींचते थे उसमें सभी बारी बारी
भले कम था पैसा मगर दिल बड़ा था
कोई काम उसके बिना न रुका था
किताबें पे भी पूरी किसी पे नहीं थीं
मिल बाँट पढ़ते कोई कमी नहीं थी
ट्यूशन पढ़ाये थे तभी हम पढ़े थे
साधन थे सीमित हौसले पर बड़े थे
'कंजर', 'कमीने' जुमले जुबां पे चढ़े थे
बनावट की दुनिया से हम सब परे थे
नापते थे मिल के गली और सड़कें
वापस जो गुजरें दिल फिर से धड़कें
दोस्तों ने जीने का तरीका सिखाया
बिना दाम खर्चे जहाँ इक बनाया
समय के थपेड़ों में हम बह गए हैं
दोस्तों से अब तो जुदा हो गए हैं
चलो एक कोशिश कर के तो देखें
दोस्तों से वापस जुड़ के तो देखें। ......
@प्रदीप गुप्ता
चलो पुराने दोस्तों से मिल के तो आएं
बीता है अरसा इस अकेले सफर में
जिंदगी कट गई सिर्फ पैसे की धुन में
मिल गया खूब पैसा, शोहरत भी पायी
मगर इस शिखर पर गज़ब की तन्हाई
जिधर देखता हूँ लोग नीचे खड़े हैं
अदब की है मुद्रा विनम्र दिख रहे हैं
मगर बस चले तो नीचे गिरा दें
मुझे ठेल कर वे खुद को बिठा दें
बनावट से मैं तो तंग आ गया हूँ
खुदाया कहाँ से कहाँ आ गया हूँ
मुझे याद आ रहा वो गुजरा जमाना
दोस्तों के संग बीते पलों का खजाना
मिले चाय का इक कप पैसे थे इतने
लगाते थे चुस्की सब मिल के उसमें
सिगरेट भी होती थी अकेली बिचारी
कश खींचते थे उसमें सभी बारी बारी
भले कम था पैसा मगर दिल बड़ा था
कोई काम उसके बिना न रुका था
किताबें पे भी पूरी किसी पे नहीं थीं
मिल बाँट पढ़ते कोई कमी नहीं थी
ट्यूशन पढ़ाये थे तभी हम पढ़े थे
साधन थे सीमित हौसले पर बड़े थे
'कंजर', 'कमीने' जुमले जुबां पे चढ़े थे
बनावट की दुनिया से हम सब परे थे
नापते थे मिल के गली और सड़कें
वापस जो गुजरें दिल फिर से धड़कें
दोस्तों ने जीने का तरीका सिखाया
बिना दाम खर्चे जहाँ इक बनाया
समय के थपेड़ों में हम बह गए हैं
दोस्तों से अब तो जुदा हो गए हैं
चलो एक कोशिश कर के तो देखें
दोस्तों से वापस जुड़ के तो देखें। ......
@प्रदीप गुप्ता
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