सड़क से लेकर पाँच तारा संस्कृति तक ग़ज़लों का सफ़र ….
सड़क से लेकर पाँच तारा संस्कृति तक ग़ज़लों का सफ़र ….
कल वर्ली के फोर सीज़न्स होटल के बैंक्वेट हाल में हिंदी ग़ज़ल न सिर्फ़ दिखाई दी बल्कि सुनाई भी दी . इसे साहित्य की छोटी मोटी घटना मान कर अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए.
बिरला परिवार शीर्ष व्यवसायी तो है ही साथ ही इसका स्वतन्त्रता आंदोलन से लेकर धर्म, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान है. उसी क्रम में सुश्री राजश्री बिरला ने एक अध्याय साहित्य का भी जोड़ दिया है और अपने अध्यापक और हिंदी के जानेमाने ग़ज़लकार नंदलाल पाठक के नाम से साहित्यकारों के सम्मान और पुरस्कार का सिलसिला शुरू किया है , इस बार उनकी संस्था ने ग़ज़ल कुम्भ के प्रणेता और अमरोहा की सरज़मीं पर जन्मे दीक्षित दनकोरी और चेन्नई में कार्यरत युवा ग़ज़लकार अभिषेक सिंह को सम्मान और पाँच लाख और एक लाख की नगद राशि भी प्रदान की . इस आयोजन की एक खूबी ये थी कि देश की व्यावसायिक राजधानी में साहित्य की आभा बिखेरने वाले रचनाकारों से हाल खचाखच भरा हुआ था. सामान्यत साहित्यिक आयोजन में पचास लोग आने से कार्यक्रम हिट कहलाता है लेकिन यहाँ इतने रचनाकारों की उपस्थिति नंद लाल पाठक के बड़े कद , सौम्य व्यवहार के कारण थी. बात संचालन की की जाए तो देवमणि ने अपनी बेहतरीन परफॉरमेंस दी .
इस अवसर पर पाठक जी का ग़ज़ल संग्रह “जीवन एक ग़ज़ल है” भी रिलीज़ हुआ जिसके लिए वाणी प्रकाशन के मुखिया अरुण माहेश्वरी भी मौजूद थे .
बाहर रिसेप्शन पर जब मैं इस पुस्तक की प्रति ख़रीद रहा था तो सामने सूची में देख कर ये देख कर ख़ुशी हुई कि लगभग सत्तर लोग इसे ख़रीद चुके थे . शायद इसकी एक वजह यह भी थी की कि हाल में पाठक जी के चुनिन्दा शेर स्टैंडी पर डिस्प्ले किए गए थे , अच्छा कथ्य होगा तो लोग ख़रीदते ही हैं.
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