ब्रिटेन के स्टोनहेंज का सहोदर एले’ज स्टेनर स्वीडन में है
ब्रिटेन के स्टोनहेंज का सहोदर एले’ज स्टेनर स्वीडन में है
लंदन से नब्बे मील की दूरी पर विशालकाय पत्थरों की एक पाँच हज़ार साल से भी पुरानी संरचना स्टोनहेंज है जो अपने आप में काफ़ी रहस्य समेटे हुए है, कुछ लोगों का मानना है कि यह संरचना आकाशीय अध्ययन के लिए बनाई गई थी , साथ ही शमन मिस्टिक यहाँ उपासना और साधना करते रहे हैं .
इसका एक सहोदर एले’ज स्टेनर स्वीडन के ऑस्टरलेन समुद्री किनारे के फिशिंग गांव Kåseberga के क़रीब ऊँची पहाड़ी पर अवस्थित है , विशाल आकार प्रकार के 59 बोल्डरों से समुद्री जहाज़ की रूप रेखा बनी हुई है , लगभग डेढ़ हज़ार वर्ष पहले यह संरचना किसने और क्यों बनाई और इसके लिए विशाल आकार के बोल्डर किस तरह से समुद्री पहाड़ी के शिखर पर ले जाए गए होंगे इसका सही सही उत्तर नहीं मिल सका है , पर इतना अवश्य है कि यह पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है .
खगोलशास्त्रियों ने यहाँ शोध करना प्रारंभ किया तो पाया कि उत्तरायण के प्रथम दिन और दक्षिणायन के प्रथम दिन सूर्योदय और सूर्यास्त निर्धारित बिंदु पर होता है तब यह बात समझ में आई कि एले’ज स्टेनर संरचना खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए की गई होगी जिससे धार्मिक अनुष्ठानों , त्योहारों के निर्धारण , फसलों के चक्र आदि का कैलेंडर बनाने में मदद मिल सके .यही नहीं इसकी ज्यामिति के कुछ पक्ष स्टोनहेंज से मेल खाते हैं .
यही नहीं एले’ज स्टेनर के इर्दगिर्द की संरचनाओं की कार्बन डेटिंग इसके ईसा से तीन हज़ार वर्ष पुरानी है . जैसा की मैंने पूर्व में बताया कि पत्थरों को समुद्री जहाज़ के वलय आकार में स्थापित किया गया है कुल मिला कर ये विशाल 59 पत्थर लाल और भूरे रंग के ग्रेनाइट और क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल के हैं , एक एक पत्थर का वजन 1.8 टन के करीब है . वलय के छोर वाले दोनों बोल्डर अपेक्षाकृत बड़े हैं और ये 135 डिग्री दक्षिण पूर्व में समुद्र की ओर झुके हुए हैं और ये उत्तरायण के सूर्य उदय की छाया को सही सही दिखाती है . जो उसके ठीक सामने के बोल्डर दक्षिणायन के सूर्य उदय की छाया को इंगित करती है . वृत्त का प्रवेश पॉइंट 230 डिग्री दक्षिण-पश्चिम झुका हुआ है उत्तरायण के सूर्यास्त की छाया बताती है. वलय के अंदर 1989 में की गई खुदाई के दौरान एक सुसज्जित मृदा पात्र मिला था जिसमें मानव अस्थियां रखी हुई हैं जिससे यह अनुमान लगाया गया कि यहाँ किसी किस्म के धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते रहे होंगें. यही नहीं यह संरचना न सिर्फ़ पहाड़ी से दिखने वाले बाल्टिक सागर के नज़ारे के लिए बल्कि विभिन्न तारों , ग्रहों, उपग्रहों की चाल की गणना के लिए आदर्श स्थान भी रहा है .
Comments
Post a Comment