हॉलीवुड का गहराता भविष्य











      -प्रदीप गुप्ता 

इसी सप्ताह के शुरू में मैं हॉलीवुड में था , वह तिलस्मी मायानगरी जिसका  जादू  पिछले सौ वर्षों से पूरी दुनिया के सिने प्रेमियों के सर चढ़ कर बोलता रहा है . इसके पीछे का रहस्य यही है कि हॉलीवुड एक शक्तिशाली चुंबक की तरह से पूरी दुनिया से प्रतिभाओं को खींचता रहा है. बॉलीवुड और अन्य फ़िल्म निर्माण करने वाले केंद्रों में यहाँ के सिनेमा और संगीत की कार्बन कापी बनाने का सिलसिला भी साथ ही साथ चलता रहा है . हॉलीवुड बुलेवर्ड, वेवरली हिल्स , रोडियो स्ट्रीट, बेल एयर और स्टूडियोज़ में  घूमते घूमते लगा कि यहाँ की सारी चमक दमक के वावज़ूद हॉलीवुड अपने अस्तित्व के लिए आख़िरी लड़ाई लड़ रहा है . 
इसका संकेत मेलरोज रोड पर अवस्थित हॉलीवुड के सबसे पुराने पैरामाउंट स्टूडियो की बिक्री की तैरती खबर को ले कर है और इसे सही क़ीमत पर ख़रीदार नहीं मिल रहे हैं. यह स्टूडियो इतना भव्य और विशाल है कि यहाँ की कई स्टेज पर तो हाथियों तक को लाकर युद्ध तक के दृश्य शूट किए जा सकते हैं . बस कुल मिला कर यह हॉलीवुड के ढीले ढाले स्वास्थ्य का संकेत देने के लिए पर्याप्त है. 
ऐसा नहीं कि कोरोना महामारी के दौरान के समय में थम गए हॉलीवुड ने 2023 में अपनी स्थिति को सम्भला नहीं है , Oppenheimer, Barbie जैसी फ़िल्मों की विश्वव्यापी व्यावसायिक सफलता ने साबित किया कि अभी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है , इस साल भी Denis Villevenue की Dune 2 से सिने प्रेमी वापस थियेटरों में वापस आये हैं .
इन सफलताओं के वावजूद Warner Brothers, Disney, Paramount जैसे बड़े स्टूडियो की  बैलेंस शीट में घाटा दिख रहा है , कई बड़ी ब्लॉक बस्टर जिनसे धमाल की उम्मीद थी बॉक्स ऑफिस पर गोता खा  गयीं . अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि थियेटर अभी तक  पैंडेमिक पूर्व जैसी लाभप्रद स्थिति में नहीं आ पाये हैं . ये सब ख़तरे की घंटियाँ हैं . यही नहीं AI के कारण सिने उद्योग से जुड़े लोगों को छँटनी का भी संकट झेलना पड़ सकता है . 
बात केवल सिनेमा हॉल जाने वाले लोगों की घटती संख्या तक ही सीमित नहीं है , केबल के ग्राहक भी कम हो रहे हैं , पिछली तिमाही में अमेरिका में चौबीस लाख लोगों ने अपना पे टीवी का सब्सक्रिप्शन कैंसिल कराया है . शायद यही वजह है कि केबल टीवी पर विज्ञापनदाता कम होते जा रहे हैं , पिछले वर्षों की तुलना में 2023 में टीवी पर विज्ञापन कम आए, जबकि डिजिटल एडवरटाइजिंग तेज़ी से बढ़ी है . मार्केट विशेषज्ञ टी डी कोहेन के अनुसार यह ट्रेंड 2024 में भी जारी रहेगा . 
स्ट्रीमिंग सेवाएँ जिन्हें हॉलीवुड का भविष्य माना जा रहा था , फ़िलहाल मुनाफ़े के लिए संघर्षरत हैं, इसीलिए ये कंटेंट बनाने के लिए जितना उदार बजट देती थीं उसमें कटौती कर रही हैं , ज़ाहिर है इसके कारण कंटेंट की गुणवत्ता में ह्रास होगा. सब्सक्रिप्शन दर बढ़ी है लेकिन स्ट्रीम किए जाने वाले कंटेंट कम हुए हैं .
इसी के साथ हॉलीवुड में ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि सुपर स्तर की बॉक्स ऑफिस ड्रा कम हुई है , उनका लार्जर देन लाइफ क़द धीरे धीरे छोटा होना शुरू हो गया है पहले लोग Bruce Willis या फिर Jim Carrey की अगली फ़िल्म का इंतज़ार करते थे , अब लोग चरित्र पर क़ायदा ध्यान देते हैं मसलन उन्हें कैप्टेन अमेरिका या फिर स्पाइडरमैन देखना महत्वपूर्ण है यह नहीं कि इस चरित्र कौन निभा रहा है . अगर यह सिलसिला जारी रहा तो भविष्य के सुपर स्टार ( अगर वाक़ई बचे तो !) पुराने सुपर स्टार की बहुत पुरानी फ़ीस बीस मिलियन डॉलर से भी कम कमायेंगे . यही नहीं तकनीक, स्टंट आदि से जुड़े लोगों का काम छीनने के लिए AI दस्तक दे चुका है , हाँ यह बात ज़रूर है कि इसके प्रभाव उतने प्रभावशाली नहीं लगते हैं , लेकिन अगर निर्माता बजट को ले कर चिंतित है तो वह इस क़िस्म के प्रयोगों से गुरेज़ नहीं करेगा . 

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