लाइब्रेरी का महत्व कम नहीं होगा
विश्व की सबसे पुरानी और विशाल अलेग्जेंड्रिया लाइब्रेरी
जला दी गई थी या जल गई.
सही सही नहीं पता नही, पर कहा जाता है कि अलेग्जेंड्रिया की लाइब्रेरी, दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थी. इतनी बड़ी, कि केवल किताबो की सूची ही, 192 खंडों में हुआ करती थी.
सिकन्दर या अलेक्ज़ेंडर महान ने दुनिया जीती, पहले इजिप्ट जीता, और वहां अपने नाम का शहर बसाया, उसकी चाहत थी, कि वह अपने गुरु अरस्तू उर्फ़ एरिस्टोटल को दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाकर दे. लेकिन वो तमन्ना रह गयी, सिकन्दर चल बसा . टॉलमी ने ये बीड़ा उठाया औऱ दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी अलेक्ज़ेंड्रिया में तामीर कर दी.
इस नगर में समुद्र तट पर, एक गगनचुंबी लाइट हाउस बना, जो दुनिया के सात अजूबों में गिना गया, उसी के पास ही बनी ये लाइब्रेरी, जो पूरी दुनिया के लिए ज्ञान का लाइट हाउस बन गई थी.
टॉलमी को जुनून था, कि दुनिया की हर पुस्तक , हर पांडुलिपि की एक प्रति उस लाइब्रेरी में हो, जो भी जहाज उस बंदरगाह पर आते रहते थे , उन्हें नई नई पुस्तकें लाने का आदेश था , आयी हुई पुस्तकों की प्रतिलिपि बनती, और मूल जहाज पर लौटा दी जाती. ये अलेग्जेंड्रिया शहर दुनिया के समुद्री मार्ग का चौराहा था और यहाँ हर संस्कृति की पुस्तकें और उसका ज्ञान वहां था.
टॉलमी और उसके वंशज, उस लाइब्रेरी में पढ़ने, शोध करने के लिए दुनिया भर से स्कॉलर्स बुलाते. मुफ्त रहना खाना और इज्जत देते. स्कॉलर के शोध भी लाइब्रेरी का हिस्सा बनते.
विज्ञान, गणित, भूगोल, नेविगेशन, कलाएं तमाम विषयो पर अन्वेषण के लिए अलेग्जेंड्रिया विश्व की राजधानी बन गया।
कहते हैं, जब जूलियस सीजर नें यहां आक्रमण किया, तट की रक्षा कर रहे जहाजों पर अग्निबाण से हमला किया जिससे आग शहर में फैली लाइब्रेरी खाक हो गई. हालाँकि इस पर संदेह है. संभव है लाइब्रेरी का एक हिस्सा आग से बच गया हो क्योकि इस लाइब्रेरी का, उसके स्कॉलर्स का विवरण जूलियस सीजर के 500 साल बाद तक मिलता है.
मगर यह बात पक्की है कि लाइब्रेरी पांचवी शताब्दी आते आते, खत्म हो गयी, साथ ही अलेग्जेंड्रिया से ज्ञान का सूरज अस्त हो गया.
यह माना जाता है कि इसकी पुस्तकों , ज्ञान, विज्ञान से डरे सहमे राजवंशों ने, और उस दौर के धार्मिक नेताओं ने इसे धीमी मौत दे दी, या जलवा दिया. यह कारण, अधिक सम्भव प्रतीत होता है क्योंकि दुनिया के तानाशाहों ने वे चाहे हिटलर हो या माओ सभी ने किताबो की होली जलवाई है, ताकि नया इतिहास गढ़ा जा सके . चर्च और फतवा देने वाले विद्वानों ने गैलीलियो, कोपरनिकस और सुकरात का क्या हाल किया, सभी को पता है.
लाइब्रेरियों का जलना और उसके बाद आने वाले दौर की आहट ख़तरनाक होती है.इसका उदाहरण एलेक्जेंड्रिया के पराभव के बाद, यूरोप में पांचवी से लेकर 15 शताब्दी का काल, अंधकार युग कहा जाता है. इस युग मे कोई वैज्ञानिक, बौद्धिक प्रसार न हुआ. ज्ञान का एकमात्र स्रोत धर्म रहा।धर्मगुरुओं का वचन ही विज्ञान था. 15 वीं शताब्दी के बाद यूरोप में पुनर्जागरण विज्ञान की प्रभुता के कारण ही संभव हो सका , तभी न्यूटन, डार्विन, आईंस्टीन , एडविन हबल , स्टीफ़न ह्वाकिंस की नई खोजें प्रकाश में आ पाईं . यही नहीं पिछले 400 साल में औद्योगिक क्रांति, चिकित्सा क्रांति, डिजिटल क्रांति संभव हो सकीं. राजतन्त्र खत्म हुए, रिपब्लिक बने, लोकतन्त्र आया। आज हम मानव इतिहास के सबसे आजाद लोग हैं.
इधर भारत में ज्ञान के केन्द्र नालंदा के विश्वविद्यालय और उसकी लाइब्रेरी को जलाने वाले बख्तियार खिलजी जैसे ज्ञान के दुश्मन भारत में भी हुए हैं .
अगर हमारे यहाँ लाइब्रेरी ख़त्म हो गईं तो इतिहास के तथ्यों पर और विज्ञान तकनीक पर व्हाट्सऐप विश्वविद्यालय हावी हो जायेगा. किताबेंकी जगह व्हाट्सऐप विश्वविद्यालय से रौशन होने वाले नए भारत में उस अंधकार की आहट है, जो लाइब्रेरी युग से पहले की है. वर्तमान लाइब्रेरी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं और नई लाइब्रेरी की तो बात ही नहीं हो रही है.
अगर हमें ग़लतफ़हमी है कि इंटरनेट ने पुस्तकालयों की उपदेयता और आकर्षण ख़त्म कर दिया है तो हमें अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में सिएटल जा कर वहाँ के 11 मंज़िला शहर का केंद्रीय पुस्तकालय देखना चाहिए जो ग्लास और स्टील से बनी बेहतरीन इमारत में है जो 2004 में पुस्तक प्रेमियों के लिए खुली है . भवन के भू तल पर वाचनालय और कैफेटेरिया है नौ तलों पर पुस्तकें हैं शीर्ष तल पर कुछ पांडुलिपियाँ हैं जिनमें जिमी हैंड्रिक्स के हस्त लिखित नोटेशन , कुछ साहित्यकारों की मूल पांडुलिपि हैं. यहाँ बहुत ही रियायती दर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के लिए कक्ष भी उपलब्ध रहते हैं . यह अकेला उदाहरण नहीं है , यूरोप और अमेरिका के सभी शहरों में लाइब्रेरी में पाठकों की भीड़ जुड़ी रहती है .
चुनाव हमारे अपने हाथ में रहेगा कि क्या हमें ज्ञान विज्ञान के सहारे आगे बढ़ने वाला देश चाहिए या फिर अंधकार का रास्ता अपनाना है.
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