गुणों की ख़ान है आक का झाड़

आज अपने घर के पास के जंगल में घूमते हुए देखा आक के झाड़ पर फूल आये हुए हैं . बहुत सुंदर लगा. आक के पत्तों की माला बना कर शनिवार को हनुमान जी की मूर्ति पर चढ़ाते हैं. दरअसल जिन जिन पत्तों, दलों और एनी चीजों को देवताओं पर चढ़ाने का विधान है समझ लीजिए उनमें बीमारियों से लड़ने की अद्भुत क्षमता है . 

ऐसे ही कई गुण आक के  पत्ते में भी हैं. मराठी में इसे मदार  कहा जाता है.

आक के पत्तों में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण कई रोगों से बचाने में मदद करता है. इस पौधे का उपयोग कब्ज, दस्त, जोड़ों के दर्द, दांतों की समस्या और बॉडी में होने वाले ऐंठन के इलाज के लिए भी किया जाता है.

यही नहीं आक के पत्तों से डायबिटीज के रोग का भी इलाज हो सकता है क्योंकि रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि  आक के पौधे का अर्क इंसुलिन प्रेरित प्रतिरोध को रोकने में मदद करता है.

आक के पौधे की जड़ से  कुष्ठ, एक्जिमा, अल्सर, दस्त और खांसी का इलाज भी संभव है . आक के पत्तों को किसी भी प्रकार के घाव को भरने के लिए भी उपयोग किया जाता है. यही नहीं खूनी पाइल्स के इलाज में भी आक का इस्तेमाल होता रहा है. जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आक के पत्तों को पानी में उबाल कर इस पानी की मदद से पैरों की कुछ देर तक सिंकाई करने से आराम मिलता है .

ज़रूरत इस बात की है पूजा अर्चना में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री पर गहन वैज्ञानिक शोध किया जाये और उसके रियल टाइम में ट्राइल करके परिणाम प्रस्तुत किए जाएँ. 



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