प्रेरणास्पद कविता : अपना जीवन
अपना जीवन
अपना जीवन बहता पानी
नहीं किनारा अभी मिला है
आड़े तिरछे से रस्ते पर
संघर्षों में फूल खिला है
सीमित साधन की लहरों पर
इच्छाएँ सब करें सवारी
जियरा डगमग डोले जैसे
नौका बीच भँवर में भारी
पा कर भी कुछ खोया हमने
जिसका कोई नहीं गिला है
अपना जीवन बहता पानी
नहीं किनारा अभी मिला है
कितने ही शहरों में जी कर
जो भी अपना समय बिताया
समय धार में वो सब अनुभव
बना ज़िंदगी का सरमाया
ताक़त तुम अनुभव की देखो
पर्वत का आधार हिला है
अपना जीवन बहता पानी
नहीं किनारा अभी मिला है
लोगों की पीड़ाएँ समझीं
विश्वासौं का लेप लगाया
उजियारा अपने जीवन में
अपने सच के कारण आया
कुछ ने फिर विश्वास छला है
इसका कोई नहीं गिला है
अपना जीवन बहता पानी
नहीं किनारा अभी मिला है
संबंधों की डोर पकड़ कर
किया सफ़र इतना सारा
जिसमें दिल जीते कितने ही
बस अपना इक दिल है हारा
तुरपाई रिश्तों की है हमने
दिल के धागों से इन्हें सिला है
अपना जीवन बहता पानी
नहीं किनारा अभी मिला है
©️PRADEEP Gupta
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