Last Battle For Survival : Regal Cinema
एक बुरी खबर हवाओं में तैर रही है कि शायद मुम्बई का सबसे आइकॉनिक मूवी थियेटर रीगल बंद होने जा रहा है , ईश्वर करे कि यह खबर झूठी निकले . यह इमारत आज यह आलेख लिखे जाने के दिन अपने जन्म की नब्बेवीं वर्षगाँठ माना रही है .
हैप्पी बर्थडे रीगल सिनेमा .
कोलाबा के इंटरसेक्शन पर बना यह थिएटर अपनी शानदार नब्बे वर्षों की शानदार कहानी समेटे हुए है जो मुम्बई शहर के विकास के सफ़र की सबसे शानदार कहानी है .
यह मुम्बई शहर की यूनेस्को संरक्षित आर्ट डेको परंपरा की बनी पहली इमारत थी .
यह इमारत कैसे और क्यों बनी इसका रोचक इतिहास है . कभी यह जगह ब्रिटिश फ़ौज की हुआ करती थी जहां सलामी देने वाली तोपें रखी गई थीं.. जब भी ब्रिटिश वाइसराय या फिर और कोई अति विशिष्ट अतिथि आता तो उनके सम्मान में यहीं तोपों की सलामी दी जाती थी . पता नहीं ऐसा क्या हुआ 1926 से यह तोप सलामी प्रथा यहाँ से कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर दी गई और यह प्लॉट ख़ाली हो गया. और इसे पारसी व्यवसायी फ्रामजी सिद्धवा और उनके रंगून के व्यापारी मित्र के कूका ने लीज पर ले लिया. फ़्रॉमजी यूँ तो पारसी प्रीस्ट परिवार में जन्मे थे लेकिन रुचि व्यवसाय में थी और उनका व्यापार रंगून, कलकत्ता, मद्रास तक फैला हुआ था . कूका कलकत्ता में ग्लोब थियेटर के मालिक भी थे और फिर सिद्धवा ने मुंबई में वीटी स्टेशन के सामने कैपिटल सिनेमा ख़रीद लिया. इन दोनों मित्रों ने मुंबई शहर में एक ऐसा ग्रैण्ड थिएटर बनाने की सोची जैसा भारत में कहीं भी न हो . इमारत के डिज़ाइन और निर्माण के लिए इन दोनों मित्रों ने एफ़ डब्ल्यू स्टीवेंस को अनुवन्धित किया जिनके पिता चार्ल्स स्टीवेंस विक्टोरिया टर्मिनस स्टेशन की शानदार इमारत बना चुके थे . एफ़ डब्ल्यू ने यूरोप में वास्तुशिल्प में आधुनिकतावाद की लहर आर्ट डेको शैली की आज़माइश करने की सोची और इस तरह भारत की सबसे पहली आर्ट डेको बिल्डिंग तैयार हुई . रीगल भारत की पहली बिल्डिंग भी थी जिसमें अंडरग्राउंड पार्किंग और एलिवेटर भी थे. 14 अक्तूबर 1933 को बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गवर्नर सर फ़्रेडेरिक साइकस ने रीगल सिनेमा का उद्घाटन किया , पहली फ़िल्म लॉरल हार्डी की The Devil’s Brother थी . फिर तो यह थिएटर मुंबई के संभ्रांत लोगों के मनोरंजन के लिये पहली पसंद बन गई.
इस थिएटर में पाँचवें दशक में लगातार चार वर्ष तक फ़िल्मफ़ेयर समारोह आयोजित किए गए . कश्मीर पर भारत का पक्ष रखने के लिए वीके कृष्ण मेनन द्वारा यूएन में लगातार पाँच घंटे का भाषण बतौर डाक्यूमेंट्री इसी थिएटर में दिखाया गया था जिसे देखने तबके प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू भी आये थे. रुस के राष्ट्रपति निकलाई ख़ुरूशेव और निर्वासित तिब्बती धार्मिक प्रमुख दलाई लामा के सम्मान में भी यहाँ कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं .
एक के बाद एक हिट हॉलीवुड फ़िल्में यहाँ लगती रहीं हैं, इसका वॉर्नर ब्रदर से भी कोई कनेक्शन रहा होगा क्योंकि यहाँ अधिकांश फ़िल्में इसी स्टूडियो में बनी हुई लगा करती थीं . Sound of Music 38 सप्ताह और Titanic 30 सप्ताह तक चली थीं. यहाँ फ़िल्म देखना अपने आप में इस लिए भी अनुभव था क्योंकि सिनेमास्कोप तकनीक से फ़िल्म दिखाने की शुरुआत पहली बार यहीं से हुई थी. मल्टीप्लेक्स सिनेमा में जिस तरह के सोडा फाउंटेन और विश्व स्तरीय पैंट्री अब पिछले कुछ सालों से आयी है ये सब रीगल में एक लंबे जमाने से मौजूद रही हैं.
हम लोगों ने इस थिएटर में मलाड से जा कर कितनी हिट हॉलीवुड फ़िल्में देखी हैं उसकी बड़ी लंबी सूची है . बाद में हम लोगों ने यहाँ विश्व सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्में भी देखीं क्योंकि MAMI Film Festival के लिए भी इस थिएटर ने अपने द्वार खोल दिये थे.
आज यह थिएटर अपने अस्तित्व की आख़िरी लड़ाई लड़ रहा है , अगर आप मुंबई में रहते हैं और सिनेमा प्रेमी हैं तो आप से भी अनुरोध है कि कभी कभी यहाँ फ़िल्म देखने जायें और इस आइकोनिक स्टैण्ड अलोन थिएटर को बचाने में मदद करें .
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