हज़ारों बच्चों की क़ब्रगाह पर बनी एक आइकोनिक इमारत : चार्टर हाउस

चार्टर हाउस लन्दन : हज़ारों बच्चों की क़ब्रगाह पर बनी एक आइकॉनिक इमारत 

                  

             यक़ीन नहीं होगा कि लन्दन में एक ऐसी भव्य और ऐतिहासिक इमारत है जो हज़ारों बच्चों की सामूहिक कब्र पर अब से पाँचसौ वर्ष बनी थी , मध्य लंदन में अवस्थित इस इमारत चार्टर हाउस के साथ मेरी ढेर सारी  स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं . इमारत मेट लाइनअंडरग्राउंड स्टेशन फ़ेरिंगडन से केवल पाँच मिनट की दूरी पर है और अपने आप में एक विलक्षण  इतिहास समेटे हुए है


यह आलेख लिखते समय में मैं अपने आप को थोड़ा भावुक महसूस कर रहा हूँ क्योंकि इस भवन से मुझे मेरे जिस मित्र ने परिचित करायाथा और यहाँ बीसियों बार आने और इसे महसूस करने का अवसर दिया थाअब वे इस दुनिया में नहीं रहे हैं . मेरे यह मित्र राकेश माथुरएक लम्बे समय समय तक फ़्रेंच फ़ैशन मैगज़ीन वोग और बी बी सी के साथ काम करते रहे . राकेश भाई लन्दन प्रेस क्लब से लेकररॉयल अकादमी ऑफ़ आर्ट तक कितनी ही महत्वपूर्ण संस्थाओं के सदस्य थे उन्हें इसी ऐतिहासिक इमारत में रहने के लिए एक फ्लैटआवंटित किया गया था . इस परिसर में  आवंटित फ़्लैटों में जो लोग रहते हैं वे लन्दन के कलासाहित्य , ललित कलाओं , विशिष्ट क्षेत्रोंऔर पत्रकारिता के बड़े बड़े नाम हैं और उन्हें यह आवंटन रॉयल परिवार द्वारा बनाई गई चयन समिति द्वारा कई राऊंड की कड़ी जाँच औरसाक्षात्कार की प्रक्रिया के बाद किया जाता है . यहाँ एक बार फ्लैट आवंटित हो गया तो फिर आवंटिति  भी अपने आप को रॉयल हीमहसूस करेगा  क्योंकि वह लन्दन की सुपर इंटेलेक्चुअल लीग का हिस्सा बन गया है . यहाँ आवंटित  आवास का किराया नाम मात्र काहै और साथ ही निवासियों के लिए कम्यूनिटी किचन का भोजन भी बहुत वाजिब दाम का  रहता है लेकिन शाही अन्दाज़ में सर्व कियाजाता है .


जब मैं पहली बार 2016 में राकेश जी से मिलने के लिए चार्टर हाउस गया तो सबसे पहले उन्होंने इस भवन का गाइडेड टूर दिया . उन्होंनेबताया कि तेहरवीं शताब्दी में लन्दन में कालाज़ार  की महामारी फैली थी जिससे बड़ी  तादाद में बच्चों की मृत्यु हो गई  थीं उन्हें दफ़नानेके क़ब्रिस्तानों में जगह कम पड़ गई इसलिए क्लर्केनवेल इलाक़े के एक बड़े मैदान में हज़ारों बच्चों को दफ़नाया गया . लोगों की स्मृतिसे यह लोमहर्षक घटना मिट जाए इसलिए इस मैदान पर  एक विशाल धार्मिक मोनस्ट्री बना दी   गया . लेकिन 15वीं शताब्दी में यहाँ के16 धर्मगुरू रिफ़ार्म की भेंट चढ़ गए और इसके बाद यहाँ ट्यूडर शैली संरचना वाला  विशाल भवन बनाया गया . उसके निर्माण में जोउम्दा क़िस्म की लकड़ी पाँच शताब्दी पूर्व इस्तेमाल की गई थी वह मज़बूती से ईंट और गारे को अब तक पकड़े हुए है.


एक ख़ास बात यह भी है कि इस भवन में कई रानी और राजा भी निवास कर चुके हैंउदाहरण के लिए महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम अपनेराज्याभिषेक के प्रारंभिक दिनों में यहीं रहीं थीं . यहाँ एक बहुत सुंदर तरीक़े से सजा हुआ कक्ष है जहां इन दिनों चार्टर हाउस प्रबंध मण्डलकी बैठकें होती हैं लेकिन एक जमाना वो भी था जब प्रीवी कौंसिल की बैठकें यहाँ नियमित रूप से हुआ करती थीं . विश्व युद्ध के दौरानहिटलर की टेढ़ी निगाह इस खूबसूरत भवन पर गड़ी हुई  थी , इसे भाँप कर  निवासियों की सुरक्षा के लिए यहाँ एक अंडरग्राउंड टनलबनाई गई थी . आजकल यह टनल-क्षेत्र विशिष्ट  पार्टियों के आयोजन के लिए किराए पर दिया जाता  है . 


विश्व महायुद्ध के दौरान एक जर्मन वॉर प्लेन ने एक रात चार्टर हाउस पर बमवारी की थी , उसके कई निशाने चूक गये  लेकिन एक बम नेइमारत का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त कर दिया था , जिसकी बाद में मरम्मत की गई , अब यह पता करना मुश्किल है कि बम इमारत केकिस भाग पर गिरा था . 


भवन में विशाल आवासीय क्षेत्र के साथ ही यहाँ एक संग्रहालय भी है जिसमें  चार्टर हाउस की  ही नहीं सेंट्रल लन्दन के पिछले पाँच सौसाल के इतिहास संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शित की गई  है .


चार्टर हाउस लन्दन शहर के लगभग मध्य में है , वो चाहे लन्दन के कई मिशलीन स्टार एग्जोटिक रेस्टोरेंट हों , फ़ैशन स्टोर्स का इलाक़ाहो  थियेटर डिस्ट्रिक्ट या फिर संग्रहालयों का इलाक़ा सब कुछ पैदल चल कर तय किया जा सकता है . हर साल लन्दन में होने वालीसालाना मशहूर डिज़ाइन इवेंट के सारे परिसर आसपास में ही हैं . ये सब मैं  राजेश भाई के साथ कितनी ही बार पैदल ही नाप चुका हूँ  


अब राकेश भाई के निधन के बाद ऐसा लगता है जैसे यह आइकोनिक परिसर से  अपना रिश्ता पहले जैसा नहीं रह पाएगा . 









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