Vipashna Pagoda Gorai

गोराई का विपाशना पगोडा 
आज का दिन ग्लोबल विपाशना केंद्र के नाम रहा . गोराई के तट पर 2009 में बनी  इस अद्भुत संरचना के बारे में बहुत कुछ सुना था , लेकिन आज जब इसमें घूम कर और अनुभव करके देखा तो लगा कि यह अपने आप में अनन्य है. 
जी टीवी और एस्सेल समूह के स्वामी सुभाष  चंद्रा ने एस्सेल वर्ल्ड से सटे अपने विशाल भूखंड पर ही इसका निर्माण कराया है लेकिन कहीं भी उन्होंने इसका श्रेय लेने की कोशिश नहीं की है . कहते हैं कभी चंद्रा अपनी व्यावसायिक उलझनों के कारण तनाव में थे किसी ने उन्हें सत्यनारायण गोयंका द्वारा प्रवर्तित विपाशना का कोर्स करने की सलाह दी. विपाशना के आशातीत परिणाम निकले और सुभाष चंद्रा  ने गोयंका को दुनिया भर में फैले विपाशना केंद्रों के संचालन को समेकित करने और मुंबई में एक केंद्र बनवाने का वायदा पूरा किया. 
इस विपाशना केंद्र तक  जाने के लिए मुंबई से पहले उपनगर बोरिवली पहुँचना होता है और फिर वहाँ से फेरी लेकर गोराई द्वीप जाना पड़ेगा , गरमी , जाड़ा या बरसात , मौसम कोई भी हो इस इलाक़े में ठंडी ख़ुशनुमा बयार चलती रहती है . अगर फेरी से  क्रास न करके सड़क के रास्ते आना चाहें तो रास्ता मीरा रोड हो कर है जो काफ़ी लंबा पड़ेगा . 
इस प्रकल्प के मुख्य उत्प्रेरक पसत्यनारायण गोयंका बर्मा में एक समृद्ध व्यावसायिक घराने में जन्मे और पले -बड़े हुए  थे . उन्होंने रंगून के लेखा कार्यालय में कार्यरत सयाग्जी उ बा खिन से विपाशना सीखी . सयाग्जी के अनुरोध पर गोयंका अपने व्यवसाय को अपने बच्चों को सौंप कर भारत में इस ध्यान पद्धति के प्रचार प्रसार के लिए आ गए पहला केंद्र इगतपुरी में प्रारंभ किया  . उन्हीं के निर्देशन में मुंबई का यह विपाशना पगोडा पूर्णतः रंगून के शीर्ष बर्मी श्वेदेगन पगोडा की  स्थापत्य शैली पर बना है , भव्यता और आकार में यह दुनिया में यह सबसे बड़ा पगोडा है . इसके ध्यान केंद्र में एक साथ आठ हज़ार लोग बैठ कर ध्यान कर सकते हैं. पगोडा पर गोल्ड पेंट किया गया है इस लिए मीलों दूर से इसकी चमक देखते ही बनती है . शिखर स्वर्ण मंडित है और उस पर एक विशाल क्रिस्टल स्थापित है. भवन की ऊँचाई लगभग सौ मीटर है और डोम उनतीस मीटर है जो आकार प्रकार में दुनिया का सबसे विशाल  डोम है. विशाल प्रार्थना कक्ष के  प्रवेश के सभी द्वार लकड़ी के हैं जिन पर बौद्ध प्रतीक उकेरे हुए हैं ,इन द्वारों का निर्माण  और  नक़्क़ाशी का कार्य बर्मी कारीगरों ने बर्मा में ही  किया था.  
विपाशना केंद्र के परिसर में नैसर्गिक हरियाली में घूमते घूमते लगता है मानो समय ठहर गया हो और शरीर की बैट्री रिचार्ज हो गई हों .








Comments

Popular posts from this blog

Is Kedli Mother of Idli : Tried To Find Out Answer In Indonesia

A Peep Into Life Of A Stand-up Comedian - Punit Pania

Searching Roots of Sir Elton John In Pinner ,London