In Hindi Shoe Maker by Joe Foster
जूते वाले पैर के बाद मोची
अमेरिकी स्लेंग में Shoe Dog का अर्थ होता है पैर में जूता, तीन वर्ष पूर्व मैंने अंतरराष्ट्रीय जूता बनाने वाली कंपनी Nike के संस्थापक फ़िल नाइट के संस्मरण Shoe Dog को एक ही बैठक में पढ़ गया था ,किस तरह उसने अपने और अन्य धावकों के अनुभव के आधार पर और बाज़ार में उपलब्ध जूतों को पहनने से होने वाली तकलीफ़ को मद्देनज़र रखते हुए बेहतरीन जूते बनाने का सिलसिला शुरू किया था और बाज़ार की चुनौतियों का सामना करते हुए एक बेहतरीन ब्रांड को स्थापित किया था.
अब बारी है Reebok के सह-संस्थापक जो फ़ॉस्टर की , उन्होंने हाल ही में अपने संस्मरणों को Shoemaker पुस्तक में संजो कर प्रस्तुत किया है. जो फ़ॉस्टर कल Indian Business Literature Festival में भाग लेने के लिए मुंबई में थे , भाई अनुराग बतरा के सौजन्य से उनसे मिलने और बातचीत का मौक़ा मिला .
जो ने जूता बनाने के व्यवसाय में अपनी यात्रा के बारे में रोचक जानकारी दी . जो के दादा 1895 में जब महज़ चौदह वर्ष के थे उन्होंने अपने पिता की मिठाई की दुकान के ऊपर वाले तल पर बेडरूम में पुरानी सामग्री से जूते बनाने की शुरुआत की थी , यह इंग्लैंड के बोल्टन शहर का वाक़या था, उन्होंने दौड़ने के लिए स्पाइक जूते बनाए . वर्ष 1900 में उन्होंने जे डव्लू फ़ॉस्टर नाम से प्रतिष्ठान खोला . चालीस वर्ष तक यह कंपनी ब्रिटिश एथलीट के लिए जूते बनाती रही , उनका बनाया जूता ओलंपिक में सौ मीटर श्रेणी के स्वर्ण पदक विजेता धावक हेरोल्ड अब्राहम ने पहना था . अब्राहम की बाद में शोहरत फ़िल्म चेरिएट आफ़ गॉड से भी हुई.
जे डव्लू फ़ॉस्टर को जो के पिता और चाचा मिल कर चला रहे थे , जो 1957 में ब्रिटिश फ़ौज से अवकाश प्राप्ति के बाद वापस लौटे , उन्होंने देखा कि उनके पिता और चाचा में व्यवसाय को ले कर मतभेद हैं जिससे व्यवसाय प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है . इसे देख कर जो ने और Puma और Nike की सफलता से प्रेरित हो कर 1958 में अपने भाई जेफ़ के साथ मिल कर Reebok की स्थापना की .प्रसंगवश , Reebok दक्षिण अफ़्रीका में पाये जाने वाले तेज़ी से दौड़ने वाले बारह सिंघे को कहते हैं.
जो ने अपने व्यवसाय को जमाने के लिए दिन रात एक कर दिये लेकिन शुरुआती दस सालों में संकटों और ख़तरों ने पीछा नहीं छोड़ा , 1960 में ब्रांडिंग और मार्केटिंग में किए बड़े निवेश के कारण कंपनी बड़े कर्ज़े में डूब गई , जैसे तैसे निकले तो दक्षिणी कोरियाई सप्लायर ने बीस हज़ार जोड़ों की सप्लाई पर Reebok की जगह Reebooks अंकित कर दिया यह अमेरिका के लिए कंपनी का पहला शिपमेंट था. दरअसल Nike और Reebok दोनों को ही अपने अपने सप्लायर से क़िस्म क़िस्म की समस्याओं से जूझना पड़ा .
इन सारी चुनौतियों के वावज़ूद कंपनी बाज़ार में अपनी ऐसी जगह बनाती चली गई कि दुनिया भर के खेल और एथलेटिक जूते के शौक़ीन इस ब्रांड में भरोसा करने लगे . Nike और Reebok दोनों आज दुनिया के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बन चुके हैं.
इससे पहले कि Reebok सार्वजनिक कंपनी बनती जो ने अपनी हिस्सेदारी अमेरिकी निवेशकों को बेच दी लेकिन नए मालिकों ने जो को कंपनी के प्रेसिडेंट के रूप में जोड़े रखा . जो अपने पहले प्यार यानी इस कंपनी के लिए अभी भी निरंतर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं.
लेकिन जो के जीवन का एक दुखद पहलू भी है Reebok के प्रति दीवानगी और समर्पण के कारण अपने बचपन के प्यार जियाँ (Jean) को 55 वर्ष की आयु में तलाक़ देना पड़ा.
किताब में कई और रोचक क़िस्से हैं जिन्हें मैं पढ़ रहा हूँ , इस की अगली कड़ी में साझा करूँगा .
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