साउथहैम्प्टन : ऋषि सौनक के शहर में





इन दिनों ब्रिटेन में ऋषि सौनक के काफ़ी चर्चे हैं , और हों भी क्यों न आख़िर टोरी पार्टी के अगले प्रधानमंत्री के सम्भावित प्रत्याशियों की सूची में वे सबसे ऊपर चल रहे हैं . लेकिन उससे भी कहीं ज़्यादा उत्साहित  भारत में एक बड़ा वर्ग है जो एक भारतीय को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री होने की सम्भावना से ही गर्वित है . 
ऋषि सौनक ब्रिटेन में जन्मे हैं .  उनके माता पिता के पुरखे भारत से पूर्वी अफ़्रीका जा कर बस गए थे,  माता पिता पूर्वी अफ़्रीका से 1966 में  ब्रिटेन में आ गए .  सौनक के  व्यक्तित्व के विकास से  लेकर पढ़ाई लिखाई तक ब्रिटेन में ही हुई है.
उनका जन्म लंदन से डेढ़ घंटे की दूरी पर बसे दक्षिणी समुद्री तट पर बसे शहर साउथहैम्प्टन में हुआ है , जहां ऋषि के पिता चिकित्सक और माँ फ़ार्मेसिस्ट  रहे हैं .  साउथहैम्प्टन में उनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई फिर क़रीब के विनचेस्टर कालेज में पढ़े , वहाँ से उच्च शिक्षा के लिए आक्सफ़ोर्ड गए , एमबीए डिग्री स्टेनफ़ोर्ड से ली. यहीं  उनकी मुलाक़ात Infosys के संस्थापक नारायणमूर्ति की बेटी आकाँक्षा से हुई जिनके साथ उन्होंने विवाह भी किया . ईमानदारी की बात यह है कि इस नाते से ऋषि सौनक भारत के जंवाई राजा होते हैं ! 
पिछले माह हम साउथहैम्प्टन में थे , जिस शहर ने ऋषि सौनक के व्यक्तित्व विकास में बड़ा योगदान किया है .इस छोटे से शहर में पचास से भी अधिक देशों से आ कर लोग बसे हैं इसलिए माहौल समावेशी क़िस्म का है , इसका असर ऋषि सौनक के व्यक्तित्व पर निश्चित रूप से पड़ा है . यहाँ के लोग कला और संस्कृति से ज़बरदस्त लगाव रखते हैं ब्रिटेन के सांस्कृतिक शहर - 2025 के चयन में इसका नाम शॉर्टलिस्ट हुआ था . 
साउथहैम्प्टन छोटा सा खूबसूरत समुद्री शहर है , बंदरगाह हज़ारों साल पुराना है जिसने  ब्रिटेन की समुद्री शक्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है . यही नहीं यहाँ क्रूज़ लाइनर का बहुत बड़ा टर्मिनल भी है , इस कारण भी शहर में पर्यटकों की खूब आवाजाही लगी रहती है .
1414 में हेनरी पंचम की सेनाएँ Agincourt के  युद्ध के लिए साउथहैम्प्टन के बंदरगाह  से जहाज़ों में रवाना हुई थीं . अमेरिका के लिए पहला जहाज़ May Flower 1620 में यहीं से अपनी यात्रा पर निकला था . विश्व के सबसे बड़े लगज़री क्रूज़ लाइनर क्वीन मेरी 2  को यहीं के विश्व विद्यालय के छात्र स्टीफ़ेन ने डिज़ाइन किया था और उसका जलारोहण यहीं के क्रूज़ टर्मिनल से किया गया था . 1912 में टायटैनिक भी अपनी पहली और आख़िरी यात्रा पर यहाँ के डाकयार्ड  से निकला था . 
हम शाम के वक्त जब शहर की  सैर  को निकले शहर की दुकानें एक एक करके बंद हो रही थीं , लेकिन बार और रेस्तराँ गुलज़ार थे . देसी शाकाहारी खाना तो खाते ही रहते हैं , यहाँ ओसियन विलेज में इटेलियन रेस्तराँ बेकारो में खाना खाया , दाम वाजिब थे और स्वाद में बेहतर . सेंट मिशेल स्क्वायर में ट्यूडर शैली  में ट्यूडर हाउस है जिसे पंद्रहवीं शताब्दी में एक सम्पन्न व्यापारी ने बनता था . अब यह म्यूजियम है जिसमें शहर का 900 वर्षों का इतिहास समेटा हुआ है. ग्यारहवीं शताब्दी का सेंट मिशेल चर्च भी देखा जिसने नॉर्मन काल के अवशेष रखे हुए हैं . 
शहर से 14 मील की दूरी पर न्यू फ़ॉरेस्ट इलाक़े में राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल संग्रहालय है कहते हैं यह दुनिया के सबसे विशाल मोटर संग्रहालय में से एक है , यहाँ जेम्स बॉंड फ़िल्मों में प्रयुक्त 
कारें भी शामिल हैं . हमारे पास समय नहीं था इसलिए हम यहाँ का सी सिटी म्यूजियम नहीं देख पाए यह यहाँ के  गौरवशाली जहाजरानी इतिहास को दर्शाता है. 
अगर ऋषि सौनक प्रधानमंत्री बन गए तो साउथहैम्प्टन का नाम एक बार फिर से सुर्ख़ियों में आएगा .

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