लंदन डिज़ाइन वीक में भारतीय मूल की डिज़ाइनर रचना गरोडिया
लंदन में हर वर्ष डिज़ाइन वीक आयोजित होता है जिसमें दुनिया भर के डिज़ाइनर शामिल होते हैं . इस बार यह गतिविधि करोना के कारण दो वर्षों के बाद 24 से 26 जून के बीच आयोजित हुआ , पूरी गतिविधियाँ फ़ेरिंगडॉन के सबसे आधुनिक और फ़ैशनेबल इलाक़े में फैली हुई थीं .
इस दौरान हमारी मुलाक़ात भारतीय मूल की रचना गरोडिया से हुई जो भारतीय फ़ैशन संस्थान की ग्रेजुएट हैं और बाद में लंदन के रॉयल स्कूल ओफ नीडलवर्क में प्रशिक्षित हैं और इन दिनों अपने अनूठे क़िस्म के बनाई और कढ़ाई के डिज़ायनों के कारण चर्चित हैं . पिछले 13 वर्षों में उन्होंने भारतीय परम्परागत कढ़ाई बुनाई की शैली और लंदन में ब्रिटिश और यूरोपीय देशों के प्रभावों को समाहित करके कुछ नए प्रयोग किए हैं .
मुलाक़ात रचना से क्लेरकेनवेल डिज़ाइनर आउट्लेट में उनके स्टाल पर हुई . रचना का परिवार मूलतः राजस्थान से है. उनकी विशेषता विभिन्न माध्यमों में कुछ अलग ही क़िस्म के टेक्स्चर के साथ प्रयोगों को लेकर बनी है , काटन , लिनेन , सिल्क , ऊन जैसे प्रचलित माध्यमों से इतर काग़ज़ , पेड़ की छाल , बीज , टहनियों आदि का इस्तेमाल किया है . रचना के काम की काफ़ी तारीफ़ होती रहती है.
यह पूछे जाने पर कि उन्हें अपने अनूठे प्रयोगों की प्रेरणा कहाँ से मिलती है , रचना बताती हैं , “ मुझे अपने प्रयोगों की प्रेरणा प्रकृति के बीच वाक से मिलती है . अपने इन वाक में मैं काफ़ी क़िस्म के पत्ते , टहनियाँ आदि इकट्ठी कर लेती हूँ , इनके से सारी सामग्री इस्तेमाल नहीं हो पाती लेकिन। कुछ सामग्री मुझे कुछ ऐल्फ़ हट कर करने के लिए प्रेरित करती है . इससे मुझे अपने विचारों कैनवास पर बुनने में आसानी हो जाती है.
मैंने पूछा , क्या आप अपने धागे भी खुद ही बुनती हैं ?
रचना बताती हैं , “ नहीं , धागा बुनना बहुत ही समय साध्य है , हाँ मैं कात लेती हूँ . वैसे मैं धागे दुनिया भर से ढूँढ कर लाती हूँ , और जगह जगह के धागों के मेल मिलाप से निश्चित ही कुछ बेहतर बनता है .रचना के बनाए हुए काम को गौर से देखेंगे तो पाएँगे कि वे ज़्यादा तीखे रंग के प्रयोग से बचती हैं .
रचना के बनाए हुए काम लंदन, अमेरिका और भारत के अनेक निजी कलेक्शनों में शामिल हैं और काफ़ी काम पूर्व आर्डर पर करती हैं .
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