सच कह रहे हैं आप - ग़ज़ल
सच कह रहे हैं आप
हिम्मत बहुत है आप में जो सच कह रहे हैं आप
मुँह सिल के लोग बैठ गए यह सह रहे हैं आप
मुरदे ही बहा करते हैं जल के प्रवाह में
ज़िन्दा हैं इस वजहा विपरीत बह रहे हैं आप
क्यों बात कर रहे हैं सुचिता की और मूल्यों की
ये भूल जाते हैं किस दौर में रह रहे हैं आप
अहिल्या तो तर गयी थी श्री राम की वजह
पत्थर बने हुए हैं आज तक हम सह रहे हैं शाप
बीमारियों से लड़ने को साथ में विज्ञान खड़ा है
फिर भी बहुत से लोग सिर्फ़ कर रहे हैं जाप
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