पराग अग्रवाल होने का मतलब : elevation of Parag Agarwal as CEO of Twitter
पराग अग्रवाल होने का मतलब
राजस्थान के शहर अजमेर में जन्मे पराग अग्रवाल आज सिलिकान वैली की शीर्ष कंपनियों के भारतीय मूल के सुन्दर पिचाई (गूगल) , सत्या नडेला (माइक्रोसाफ़्ट) , अरविंद कृष्णा (आईबीएम ) , शान्तनु नारायण (अडोबे) , रघु रघूराम (वी एम वेयर) की क़तार में आ कर खड़े हो गए हैं . कल से वे सोशल मीडिया की माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter के निवर्तमान सीईओ जैक डोरसे का स्थान लेने जा रहे हैं .
37 वर्षीय पराग अग्रवाल आईआईटी बम्बई के स्नातक रह चुके हैं और बाद में उन्होंने स्टैनफ़ोर्ड से स्नातकोत्तर डिग्री और पी एच डी की पढ़ाई की है . 10 वर्ष से पराग Twitter के साथ हैं और अभी CTO पद पर कार्यरत हैं जो किसी भी टेक कम्पनी में CEO के बाद सबसे महत्वपूर्ण पद हुआ करता है .
पराग की इस उपलब्धि पर इस समय स्वयं पराग या उसके परिवार से भी ज़्यादा प्रसन्न वे भारतीय दिख रहे हैं जो उस शिक्षा व्यवस्था या फिर उस शिक्षा माध्यम के घनघोर विरोधी रहे हैं जिनके सहारे चढ़ कर पराग ने यह उपलब्धि हासिल की है . आज मैंने सोशल मीडिया में काफ़ी पोस्ट ऐसी भी देखीं जो उसके सालाना पैकेज और कम्पनी स्टॉक की जानकारी से भी बम बम हैं .
मगर यह सोचने और विचारने वाले नहीं मिले कि आख़िर पराग , सत्या, सुंदर , अरविंद, रघु , शान्तनु जैसे प्रतिभाशाली लोगों को भारत में वो माहौल क्यों नहीं मिलता जो वे गूगल, माइक्रोसॉफ़्ट , आईबीएम या ट्विटर जैसी कम्पनी खड़ी कर सकें .
ज़रा सोच कर देखिए इन लोगों के अंदर ऐसा क्या है जो भारत से 14,000 किमी की दूरी पर एक बिल्कुल अजनबी माहौल में दुनिया की कोई शीर्ष कम्पनी उन्हें अपना CEO बना लेती है .
अगर गौर करेंगे तो पाएँगे कि पराग सरीखे लोग देश के पाँच आईआईटीज़ में अपनी प्रारम्भिक तकनीकी शिक्षा ग्रहण करते हैं , यह स्प्रिंगबोर्ड आसानी से उन्हें सीधे स्टेनफ़ोर्ड जैसे संस्थान तक ले जाता है . यूरोप के देशों के नौजवान भी प्रतिभा में कम नहीं होते लेकिन उनके आड़े उनकी अपनी अंग्रेज़ी इतर मातृभाषा आ जाती है जिसके कारण वे लोग अमेरिकन कार्यशैली वाले वातावरण में उतनी जल्दी इंटिग्रेट नहीं हो पाते जितना भारतीय हो जाते हैं . यही नहीं भारतीय पारिवारिक मूल्य भी हमारे नामचीन टेक्नोक्रेट को अमेरिकी प्रतियोगी माहौल में आगे बढ़ने में मदद करते हैं .
बरहाल पराग की यह सफलता उनके सरीखे कितने ही युवाओं के सपनों में सतरंगी रंग भरने और ऊँची उड़ान के लिए प्रेरित करेगा .
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