आँख से होंठ का सफ़र Hindi Poetry
आँख से होंठ का सफ़र
सम्बन्ध बना लेना कोई मुश्किल काम नहीं
हां, इसमें गर्माहट आने की अलग कहानी है
आँख से होंठ का फ़ासला तय करने में
कई बार तो निकल जाती पूरी जवानी है
पुष्प-गुच्छ, चाकलेट या फिर महँगे उपहार ,
सम्बन्धों के ठंडेपन को दूर नहीं कर पाते हैं
इस्तेमाल कर लेना यह आसान सा नुख़्सा
प्यार के दो बोल कमाल कर जाते हैं
लोग अक्सर पूछते हैं प्यार किसे कहते हैं
मुझे लगता है किसी के प्रति जब सरोकार हो जाता है
आपका प्रतिबिम्ब झलकने लगता है उसमें
वो दिलो जां से आप पे क़ुर्बान हो जाता है
जिसकी चाहत है अगर सच में उसे चाहा है
उसका हर दर्द तुम्हारा अपना ही बन जाएगा
उसकी वफ़ाओं को हमेशा पाकीज़ा समझना
आँखों से होठों का सफ़र सहज तय हो जाएगा.
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