Hindi Ghazal घूमते घूमते
घूमते घूमते
बीत गए जमाने घूमते घूमते
हो गए हम सयाने घूमते घूमते
नगर से नगर गाँव तक की डगर
पल हो गए सुहाने घूमते घूमते
दिल झूम उठा और नशा छा गया
मिले चंद साथी पुराने घूमते घूमते
मिट गई निराशा मिल गई ज़िंदगी
हो गए हम दीवाने घूमते घूमते
जिन से हमने कुछ भी चाहा न था
आ गए दिल बहलाने घूमते घूमते
आज तुम मिल गए रास्ते में कहीं
हुईं गपशप इस बहाने घूमते घूमते
इक जगह बैठ के ऊब थी हो चली
मिल गए नए ठिकाने घूमते घूमते
प्यार के तार जब भी झंकृत हुए
बन गए कुछ फ़साने घूमते घूमते
कुछ घड़ी के लिए नींद सी आ गयी
ख़्वाब भी थे सजाने घूमते घूमते
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