एक सपने की मौत
एक सपने की मौत
सपने देखना कोई अपराध नहीं है हम में से हर आदमी का कोई न कोई सपना होता है . वो सपना एक ख़ुशहाल ज़िंदगी का हो सकता है , वो सपना अच्छे स्वास्थ्य का हो सकता है, वो सपना ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतों का भी हो सकता है . आज मैं आप से एक सपने की मौत के बारे में बात करने जा रहा हूँ , जिसके लिए धन लोलुपता, सिस्टम का आँख मूँद लेना और राजनीतिज्ञों द्वारा किसी पैसे वाले को प्लेट में सजा कर सांझी सार्वजनिक सम्पत्ति सौंप देना और आम नागरिक की अपने अधिकारों के प्रति अचेत रहना सभी कुछ शामिल है .
दोस्तों, मैं संजय गांधी नेशनल पार्क की पेरी फेरी के पास रहता हूँ . यक़ीन मानिए आप अगर वहाँ आएंगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे आज एक भीड़ भाड़ वाले महानगर के बीच नहीं बल्कि एक शांत सुरम्य हिल स्टेशन पर पहुँच गये हो . पहाड़ी इलाक़ा , घने वृक्ष , बरसात झरने जो आगे जा के एक नदी में बदल जाते हैं . यही नहीं यहाँ का इक़ो सिस्टम पशु पक्षियों के अभयारण्य का काम करता है . राष्ट्रीय हरित पंचाट यानी नैशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल के आदेश के अनुसार किसी भी राष्ट्रीय पार्क के आस पास दो किलोमीटर तक का क्षेत्र संरक्षित ज़ोन रहेगा अर्थात् यहाँ पर कोई निर्माण कार्य संभव नहीं होगा लेकिन इन सारे नियम कायदे क़ानून को धता बताते हुए यहाँ एक भवन निर्माता अपना निर्माण कार्य प्रारंभ कर चुका है और उसे रोकने वाला कोई नहीं है , काग़ज़ देखने जाएँगे तो पक्के से भी पक्के निकलेंगे क्योंकि राज-नेता , बाबू , प्रणाली सभी को क़ीमत चुका दी गयी है , यहाँ तक कि जिसने आवाज उठाने की कोशिश की उसे भी किसी न किसी तरह चुप करा दिया गया है तभी तो सारे पर्यावरण प्रेमी भी चुप्पी साधे हुए हैं . बस देख रहे हैं कि क्या हो रहा है . जंगल जाने के रास्ते में गेट लगा दिए गए हैं और फ़ेंसिंग भी लगा दी गई है . स्थिति ये है कि छोटे छोटे मैच बॉक्स टाइप के घरों में रहने वाले लोग यहाँ स्वच्छ हवा के लिए यहाँ आते थे अब उनका अपने ही जंगल में घुसना संभव नहीं है . देखा जाए तो यह निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग के सपने की मौत की तरह है और उनके सपने की क़ीमत पर बिल्डर यहाँ रिसार्टनुमा घर बनाएगा , जिन्हें धनकुबेर ख़रीदेंगे और आ के अपना वीकएंड होम बना लेंगे , हर शुक्रवार , शनिवार और रविवार को जहां सुरा सुंदरी की महफ़िलें सजेंगी और धीरे धीरे आस पास रहने वाले लोगों की अगली पीढ़ी के लोगों को पता भी नहीं होगा कि यहाँ कभी घना जंगल हुआ करता था.
यही स्वच्छ हवा , एक बेहतरीन इक़ो सिस्टम की मौत है जिस पर विलाप करने के लिए भी कोई नहीं दिख रहा है .
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