दुख बड़े हो गए हैं Hindi Poetry
दुख छोटे हो गए हैं
हादसे इन दिनों इतने बड़े से हो गए हैं
देख के उनको दुख हमारे और छोटे हो गए हैं
वक्त से भी क्या शिकायत कर सकें हम
जब जरुरत है तो अपने सिक्के खोटे हो गए हैं
भूख की तकलीफ़ उस से पूछ के देखो ज़रा
जिसके बच्चे भूख से रोते रोते सो गए हैं
न ही अब धंधे बचे हैं और न मजदूरी ही मिले
कुछ ही दिनों में देख लो हालात कैसे हो गए हैं
जान बचने की दवा हो या ज़रूरी हो सामान
बेच ऊँचे दाम पे कुछ पेट मोटे हो गए हैं
Comments
Post a Comment