पहला स्पर्श Hindi Poetry
पहला स्पर्श
अक्सर लोग सवाल करते हैं
प्यार क्या है , कैसे होता है , कब होता है ,
साथ ही यह भी पूछ लेते हैं
क्या काम भावना के बिना प्यार का कोई अस्तित्व है
यह भी कि प्लेटानिक प्यार भी कोई चीज़ है .
लिख दी हैं मर्मज्ञों , ऋषि, मुनि और अनुभवी विद्वानों ने
ढेर सारी पुस्तकें, टीका , काव्य ग्रंथ ,
बहुत सारी फ़िल्में , बहुत सारे प्ले,
जितना उन में डूबोगे
उतना ही और बढ़ जाएगा भ्रम.
मुझे लगता है प्यार पर्फ़्यूम की तरह है
उसे अभिव्यक्त करने के लिए
पुस्तक , फ़िल्म या फिर प्ले
नाकाफ़ी हैं
उसे केवल और केवल महसूस किया जा सकता है .
याद कर लेना ज़रा ,
जब तुमने किसी को जी भर के देखा था
और मन ही मन उसे चाहने लगे थे
तुमने उसे पहली बार स्पर्श किया था
बरसों के बाद आज भी तुम्हें वो लम्हा याद है
बस यही प्यार की अनुभूति है
जो कभी दिल दिमाग़ से मिट नहीं पाती !
एक और स्पर्श माँ या बाबूजी का है
वो भी स्मृति के किसी कोने में रहता है
जब भी माँ या बाबूजी के बारे में सोचते हैं
उनका स्पर्श आह्लादित कर जाता है.
याद करना जब आपने
अपने नवजात शिशु को पहली बार स्पर्श किया था
आपका रोम रोम प्रफुल्लित हो गया था
वे क्षण आज भी नई ऊर्जा भर देते हैं .
मेरे लिए प्यार स्पर्श की अनुभूति है
जिसे किसी तरह भी लिपिबद्ध नहीं किया जा सकता
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