गणतंत्र दिवस पर कविता

ये जो आज़ादी मिली है इक बड़े संघर्ष में 

मिल के यह देखें  जाए ये यूँही व्यर्थ में 

गण हरेक ले ले शपथ आज इस गणतंत्र का 

हम करेंगे एक जुट हो सामना हर जंग का 

कोई भूखा  रहे  कोई पिछड़ा ही रहे 

राष्ट्र के निर्माण  हेतु साथ में मिल के चले 

रास्ता लम्बा कठिन है और चुनौती से भरा 

कर गुज़र जाओ कुछ ऐसा झूम जाये ये धरा

सिर्फ़ अपने ही लिए तुम भूल जाओ सोचना 

सबसे पहले देश है बाद में कुछ देखना 

          -Pradeep Gupta 

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