इश्क़ अजब सी पैकेजिंग है Hindi Poetry
इश्क़ अजब सी पैकेजिंग है !
इश्क़ अजब सी पैकेजिंग है
नहीं बना है अब तक कोई
फ़िक्स क़िस्म का फ़ार्मूला
सारे ज्ञानी फेल हो गए
अज्ञानी ने मारा पाला
नहीं ज़रूरी गोरी का गोरा होना
सुगढ़ नाक नक़्श या रूप सलोना
कई बार बौद्धिक होने से भी
बात नहीं बन पाती है
कई बार ताज तख़्त की ताक़त
दिल को नहीं पिघला पाती है
कई बार तो आँख मिले बस
जीवन रंग बदल बदल जाता है
इश्क़ बैंक बैलेन्स नहीं है
ना ही बिजनेस खाता है
इसमें पाने से भी ज़्यादा
खो कर मज़ा बड़ा आता है .
उम्र , धर्म , जाति, देशों की
सीमा में यह क़ैद नहीं है
यह तो है उन्मुक्त पवन सा
इसका कोई छोर नहीं है .
पाप पुण्य की परिभाषा में
इसे बांध सकना है मुश्किल
इसमें केवल दिल की चलती
यह है बिना पैडल की साइकिल
सम्बन्धों के धागे पकड़े
इसमें आगे चलना होता
जहां गाँठ आई रिश्तों में
चूक गए न जुड़ना होता
इश्क़ नहीं चाय का प्याला
जिसे सहज आप पी जाएँ
ये वो लम्हा है जीवन का
जिस को बिरले ही जी पाएँ
इश्क़ हो गया फिर तो हर क्षण
संघर्षों में जीना पड़ता
कभी समाजों कभी निकटजन
से लोहा भी लेना पड़ता
इश्क़ अगर हो जाए जब भी
केवल अपने दिल की सुनना
नहीं किताबों में साल्यूशन
अपना रस्ता खुद ही चुनना .
इश्क़ अजब सी पैकेजिंग है .....,,,,
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