वो इबारत नहीं हूँ मैं .. हिंदी पोयट्री
जो मिट सके सहज ही नहीं ......
जो मिट सके सहज में वो इबारत नहीं हूँ मैं ,
दिल धड़कता है इधर भी अलामत नहीं हूँ मैं
बस प्रश्न पूछ लेता हूँ माफ़ करना मेरे हुज़ूर
कुछ भी समझ लीजिए बग़ावत नहीं हूँ मैं
रास्ता ज़रूर लम्बा है तकलीफ़ भी बड़ी है
तुम अगर साथ चलो तो थकावट नहीं हूँ मैं
क्यों इतना ख़ौफ़ मुझसे, मैं आम आदमी हूँ
इक ख़्वाब की ताबीर हूँ , ख़िलाफ़त नहीं हूँ मैं
मौसम की तरह बदलूँ आदत में नहीं शामिल
हर ढंग से जी लेता हूँ कुछ बनावट नहीं हूँ मैं
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