Locked Down Reading : Hindi Poetry Collection -मैं दीवाना बादल हूँ

लाकडाउन में पढ़ी पुस्तकें
मैं दीवाना बादल हूँ : कविता संग्रह 
विवेक उत्तराखंड के तराई इलाक़े के रुद्रपुर क्षेत्र की एक चीनी मिल में मैकेनिकल इंजीनियर हैं , बादल उनका तख्ख्लुस है , नौकरी के साथ ही साथ कविताएँ भी लिखते हैं. उनका पहला ग़ज़ल संग्रह ‘मैं दीवाना बादल हूँ ‘ मुझे परसों मिला और आद्योपांत पढ़ गया. 
पहले उस क्षेत्र की बात , जहां विवेक पैदा हुए, पले और बढ़े हुए. बाजपुर नैनीताल के क़रीब का छोटा सा क़स्बा है . तराई का यही सारा का सारा क्षेत्र अब से बीस वर्ष पूर्व मेरा दो साल तक कर्म भूमि  रह  चुका है, वहाँ की एक स्टेट बैंक शाखा में मुख्य प्रबंधक था , पूरा का पूरा इलाक़ा घूम डाला था. हाल ही के वर्षों में इस क्षेत्र में ज़बरदस्त औद्योगिक विस्तार हुआ है , इसके बावजूद यहाँ का ग्रामीण परिवेश जस का तस बना हुआ है , जहां तक निगाह जाती है हरे भरे खेत ही दिखायी देते हैं , किसान अन्य इलाक़ों की तुलना में ज़्यादा सम्पन्न हैं क्योंकि वे मेहनती होने के साथ ही इनोवेटिव हैं , सबसे बेहतरीन बासमती उगाते हैं. सम्पन्नता है इसलिए वे जीवन को फुलटू जीते हैं . विवेक की रचनाओं में यहाँ मिट्टी की ख़ुशबू मिली हुई है . 
विवेक ने इस इलाक़े की ख़ूबसूरती के बारे में लिखा है : 
उतर कर चाँदनी आती जो नैनी झील के अंदर 
तो झीलें जगमगाती हैं ये नैनीताल की जानम 
यहाँ जब धूप आती है छुपाती मुँह घटाए हैं 
धरा तब खिलखिलाती है , ये नैनीताल की जानम 
गाँव के जीवन पर चार पंक्तियाँ :
वही शहतूत की डाली , वही अमरूद की बगिया 
गली इमली की ओ खेतों के गन्ने याद आते हैं 
किया घुसपैठ धंधों ने , उठा कर ले गए बचपन 
लूटी अठखेलियाँ बिछड़े खिलाने याद आते हैं .
अपने शहर बाजपुर के बारे में उनका एक शेर :
शहर है बाजपुर सबका , बपौती मान कर मत चल 
गिरा जो शख़्स नज़रों से तो फिर क़ीमत नहीं होती .
नैनीताल उनके दिल का टुकड़ा है , किसी न किसी बहाने उनकी कविता में आ जाता है :
जल्वाग़र हर हाल देखा है यारों 
हमने नैनीताल देखा है यारों . 
या फिर 
बर्फ़ बसती है यहाँ पर पेड़ देते आसरा
हुस्न की ये वादी झोली भरती है कंगाल की 
गोलज्यू है बीच में तालाब है चारों तरफ़ 
जन्नतों सी वादियाँ हैं यार घोड़ख़ाल की 
लेकिन विवेक कहीं न कहीं फ़ेसबुक क़िस्म की शायरी के ट्रेप में भी आ गए हैं : 
तेरे दीदार को ही खोलता हूँ फ़ेसबुक जानम 
तेरे ही पोस्ट पढ़ने से ये दिल पर्फ़ेक्ट रहता है .
विवेक का कुल मिला कर स्वर आशावादी है :
समंदर की तरह मुझको नहीं चाहत है नदियों की 
मैं बस एक कतरे से दरिया बना करके दिखा दूँगा


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