Hindi Poetry आंसू जो गिरा
आंसू जो गिरा आँख से ग़म साथ ले गया जाते हुए सुकून का एहसास दे गया न जाने कौन खिचड़ियाँ पका रहे जनाब चेहरे का बदला रंग आभास दे गया फैला था मेरे सामने नफ़रत का अंधेरा बच्चा कहीं से हाथ में महताब दे गया दिल की किताब खोल दी यादें बिखर गयीं इतने दिनों के बाद मिल के उदास हो गया मीलों चले थे छत्त और रोटी के वास्ते छालों से रक्त रंजित इतिहास हो गया