Hindi Poetry : अगर संगीत नहीं होता तो क्या होता.......
अगर संगीत नहीं होता तो क्या होता.......
इन दिनों मेरे घर के हर कोने में कुछ न कुछ ऐसा रखा है
जिससे मेरे कानों तक मधुर स्वर लहरियां आ सकती हैं
जैसे ही आप घर में प्रवेश करते हैं
बोस स्पीकर के साथ जुड़ा आई-पाड मिलेगा जिसमें
शास्त्रीय , पॉप, राक, फ़िल्मी गानों का भंडार है
आगे आएँगे ड्रॉइंग रूम और किचन में एलेक्सा हैं
उसे ख़ाली अपनी पसंद बता दीजिए
वो लगातार आपको वो ही सुनाती रहेगी
कल मैंने उसे पंकज मलिक के गानों की फ़रमाइश की
उसने ‘पिया मिलन को जाना’ सुना दिया
एक बेडरूम में रिकार्ड चेंजर भी है
उस पर मैं बोनी एम से लेकर अमीर बाई कर्नाटकी तक के पुराने 78 आरपीएम रिकार्ड बजा लेता हूँ
एफएम रेडियो है
कैसेट प्लेयर है ये भी समय समय अपना अपना ख़ज़ाना खोलते रहते हैं .
जब भी मुझे अवसाद घेरने लगता है
यह संगीत ही है जो मुझे गले लगा लेता है
ठीक एक वावफ़ा प्रेमिका की तरह,
मैं धीरे धीरे उसकी गहराई में डूबने उतरने लगता हूँ
अवसाद कहाँ चला जाता है पता ही नहीं चलता है.
यही नहीं ख़ुशी के पल मुझे संगीत के बिना अधूरे लगते हैं
पहला प्यार शायद परवान ही नहीं चढ़ता
अगर मैं ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ नहीं सुनता
उसकी जड़ें शायद मजबूत नहीं हो पाती
अगर मैं उन दिनों एल्टन जान का ‘योर लव’नहीं सुन रहा होता
प्यार टूटने के बाद शराब नहीं संगीत ही सहारा देता है
यह मुझे ‘हार्ड वे ‘सुनने से ही पता लगा था
संगीत रेगिस्तान में शीतल जल का चश्मा है
तेज गरमी में बासंती फुहार है
कंपकपाती सर्दी में माँ की गोद का एहसास कराता है .
इन एकांत के पलों में संगीत की वजह से अकेलापन नहीं सताता .
मैं अक्सर सोचता हूँ
अगर संगीत नहीं होता तो क्या होता.
इन दिनों मेरे घर के हर कोने में कुछ न कुछ ऐसा रखा है
जिससे मेरे कानों तक मधुर स्वर लहरियां आ सकती हैं
जैसे ही आप घर में प्रवेश करते हैं
बोस स्पीकर के साथ जुड़ा आई-पाड मिलेगा जिसमें
शास्त्रीय , पॉप, राक, फ़िल्मी गानों का भंडार है
आगे आएँगे ड्रॉइंग रूम और किचन में एलेक्सा हैं
उसे ख़ाली अपनी पसंद बता दीजिए
वो लगातार आपको वो ही सुनाती रहेगी
कल मैंने उसे पंकज मलिक के गानों की फ़रमाइश की
उसने ‘पिया मिलन को जाना’ सुना दिया
एक बेडरूम में रिकार्ड चेंजर भी है
उस पर मैं बोनी एम से लेकर अमीर बाई कर्नाटकी तक के पुराने 78 आरपीएम रिकार्ड बजा लेता हूँ
एफएम रेडियो है
कैसेट प्लेयर है ये भी समय समय अपना अपना ख़ज़ाना खोलते रहते हैं .
जब भी मुझे अवसाद घेरने लगता है
यह संगीत ही है जो मुझे गले लगा लेता है
ठीक एक वावफ़ा प्रेमिका की तरह,
मैं धीरे धीरे उसकी गहराई में डूबने उतरने लगता हूँ
अवसाद कहाँ चला जाता है पता ही नहीं चलता है.
यही नहीं ख़ुशी के पल मुझे संगीत के बिना अधूरे लगते हैं
पहला प्यार शायद परवान ही नहीं चढ़ता
अगर मैं ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ नहीं सुनता
उसकी जड़ें शायद मजबूत नहीं हो पाती
अगर मैं उन दिनों एल्टन जान का ‘योर लव’नहीं सुन रहा होता
प्यार टूटने के बाद शराब नहीं संगीत ही सहारा देता है
यह मुझे ‘हार्ड वे ‘सुनने से ही पता लगा था
संगीत रेगिस्तान में शीतल जल का चश्मा है
तेज गरमी में बासंती फुहार है
कंपकपाती सर्दी में माँ की गोद का एहसास कराता है .
इन एकांत के पलों में संगीत की वजह से अकेलापन नहीं सताता .
मैं अक्सर सोचता हूँ
अगर संगीत नहीं होता तो क्या होता.

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