Hindi Poetry : शिद्दत
शिद्दत
मेरे लिए पहले उसका कोई अस्तित्व नहीं था
वो मेरे लिए भाव भंगिमा से ज़्यादा कुछ नहीं थी .
एक दिन मैंने उसका नाम बड़ी शिद्दत से पुकारा
उसने मेरे मुँह से अपना नाम सुना
वो मेरे पास आयी
और फूल बन गयी .
जिस तरह मैंने उसका नाम लेकर पुकारा था
मैं चाहता हूँ कोई मेरा नाम लेकर पुकारे
कुछ इस तरह से कि मेरी गंध और एहसास को छू ले
मैं , भी , उसके क़रीब जा कर
फूल में बदल जाऊँगा .
हम सब की ख्वाहिश रहती है ऐसा कुछ बनने की
तुम मेरे लिए , मैं तुम्हारे लिए
जो निगाहों में रच बस जाए
सदा सदा के लिए .
-प्रदीप गुप्ता

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