Hindi poetry : टाइम मशीन
टाइम मशीन.
अभी तक नहीं आ सकी है
आदमी के हाथ में
समय की धारा को मोड़ने की क्षमता
इस लिए जो कुछ करना है
आज और अभी करना है
समय की धारा के विपरीत जा कर
अपनी गलती दुरुस्त करने की गुंजाइश नहीं है .
मैंने बहुत सारी ग़लतियाँ की हैं
हर बार गलती करने के बाद में सोचता हूँ
अगर ऐसा होता तो बेहतर होता
वैसा होता तो और बेहतर होता .
इस तरह ज़िंदगी के कितने हसीन लम्हे
हम इस पश्चाताप में गवां देते हैं .
समय फिसलता जाता है
हमारी अँजुरी से निकल कर
रेत की मानिंद
और हम देखते रहते हैं
एक मूक दर्शक की तरह
नैनो सेकेंड में बदल जाती है
समय की धारा
और हम इंतज़ार करते रहते हैं
किसी टाईम मशीन का
जिसका अस्तित्व है
केवल विज्ञान गल्प कथाओं में
एक आसान सा मशविरा दिया था
एक जोगी ने
अगर हम कुछ करने से पहले कुछ नैनो सेकेंड
तो ज़रूरत ही न पड़े
किसी टाइम मशीन के बारे में सोचने की.
-प्रदीप गुप्ता
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