कल उसने बात की : Contemporary Hindi Poetry
कल उसने बात की
रेत घड़ी जैसा आकार
कमनीय काया
गर्वित चाल
हवा के साथ अठखेलियाँ करती ज़ुल्फ़ें
समीप से गुजरने पर मादक गंध जा एहसास
रोज़ कुछ ऐसा ही उस अनजान को देखने से लगता था .
हफ़्ते दर हफ़्ते उसे सुबह सबेरे देख कर गुजर रहे थे
पर कोई संवाद नहीं
न ही कोई भाव .
दो दिन नहीं दिखायी दी
ऐसा लग रहा था
जैसे सैर से कोई महत्वपूर्ण कड़ी ग़ायब हो रही है
कल जब उसे वापस सैर पर देखा
बस रहा ही नहीं
मेरे चेहरे के भाव ऐसे थे
जैसे कहना चाहता हूँ ‘आप दो दिन से नहीं दिखे’
स्मित मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फैल गयी
ऐसा लगा बर्फ़ का शिलाखंड पिघलना शुरू हो चुका है
दोस्तों, कुछ बातें बिना शब्द के भी हो जाती हैं .
- प्रदीप गुप्ता
रेत घड़ी जैसा आकार
कमनीय काया
गर्वित चाल
हवा के साथ अठखेलियाँ करती ज़ुल्फ़ें
समीप से गुजरने पर मादक गंध जा एहसास
रोज़ कुछ ऐसा ही उस अनजान को देखने से लगता था .
हफ़्ते दर हफ़्ते उसे सुबह सबेरे देख कर गुजर रहे थे
पर कोई संवाद नहीं
न ही कोई भाव .
दो दिन नहीं दिखायी दी
ऐसा लग रहा था
जैसे सैर से कोई महत्वपूर्ण कड़ी ग़ायब हो रही है
कल जब उसे वापस सैर पर देखा
बस रहा ही नहीं
मेरे चेहरे के भाव ऐसे थे
जैसे कहना चाहता हूँ ‘आप दो दिन से नहीं दिखे’
स्मित मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फैल गयी
ऐसा लगा बर्फ़ का शिलाखंड पिघलना शुरू हो चुका है
दोस्तों, कुछ बातें बिना शब्द के भी हो जाती हैं .
- प्रदीप गुप्ता

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