स्वर्गिक अनुभूति : Hindi Poetry
स्वर्गिक - अनुभूति
एक अदद आरामदेह मकान
आकर्षक पत्नी
दो फ़रमावदार ज़हीन बच्चे
शाम रंगीन करने के लिए ख़ालिस सिंगल माल्ट
साथ बिताने के लिए कई महिला मित्र
बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सीओओ की नौकरी
चमचमाती बीएमडब्लू
कम्पनी से मिला शोफ़र .
हर सप्ताह परिवार के साथ किसी न किसी माल में
या फिर ब्राण्डेड स्टोर में जाना होता है
परिवार वहाँ काफ़ी कुछ ऐसा ख़रीद लाता है
जिसकी ज़रूरत नहीं होती .
यह अपना गढ़ा हुआ स्वर्गिक संसार है.
जिसमें सब कुछ ठीक ठाक है .
मेरी इच्छा है
आर्थिक रूप से सताए लोगों
जरूरतमंद लोगों की सहायता करूँ
इसके लिए मुझे झांकना होगा
अपने स्वर्गिक संसार से बाहर की दुनिया में
जहां लोग रात को फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं
जिन्होंने कभी स्कूल की शक्ल नहीं देखी
उनका नाश्ता , लंच, डिनर केवल वडा पाव या फिर उसल पाव है
उन्हें स्वच्छ पेय जल नसीब नहीं होता
आज दिहाड़ी पर काम मिल गया
तो कल की ख़बर नहीं.
लेकिन ये लोग फिर भी रोज़
भगवान की मूर्ति के सामने
सर झुका कर
शुक्राना अदा करते हैं
कि कम से कम वे ज़िंदा तो हैं.
वे जब कभी हमारे सम्पर्क में आते हैं
हमारी जीवन शैली देख के
उन्हें लगता है कि हम स्वर्ग का आनंद ले रहे हैं.
सोचो ज़रा सोचो ,
क्यों न कुछ ऐसा किया जाय
कि उनके जीवन में भी स्वर्ग का एक टुकड़ा नज़र आए.
-प्रदीप गुप्ता
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