रोमांस से आगे : Hindi Poetry

रोमांस से आगे 


मैंने रेखा को चाहा था 

मुझे लगता था उसकी ज़ुल्फ़ों के साये में 

ज़िंदगी गुज़ार दूँगा 

धीरे धीरे लगने लगा हमारा जोड़ नहीं बन पाएगा .

बाद में मैंने शर्मिला की ख़ूबसूरती को लेकर कई नज़्म लिखीं 

उमर के इस पड़ाव पर अचानक पुरानी डायरी हाथ लग गयी 

उनमें ये नज़्म मिल गयीं , पढ़ कर खूब हंसा 

दरअसल उससे मेरी शादी लगभग होने ही वाली थी.

रश्मि का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ 

क्योंकि वो मेरे जीवन में फ़रिश्ते की तरह आयी थी

इन सब से मैंने जीवन के पाठ सीख लिए 

एक ने मुझे खुद से प्यार करना सिखाया 

दूसरे ने सब्र करना 

तीसरे ने दर्द का एहसास दिया 

अब मैं परिपक्व हो चुका हूँ 

मैंने प्यार किया और उसमें गुम हो गया .

पर मैं अब यह सब नहीं सोचता 

बस इन सभी भूतपूर्व प्रेमिकाओं के प्रति शुक्रगुज़ार हूँ 

जिनके कारण (या छोड़ जाने के कारण )अपने मित्रों के साथ गुज़ारने को अब वक्त ही वक्त है 

                      प्रदीप गुप्ता 

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