सरपरस्ती -2 Hindi Poetry
सरपरस्ती-2
समाज में , साहित्य में , कला में और राजनीति में
ज़बरदस्त प्रतियोगी माहौल है
कई बार तो मुझे इन सारी विधाओं में
रेलवे प्लेटफार्म का माहौल लगता है
जहां की बेंचों पर तीन लोगों के बैठने की जगह रहती है
जोड़ तोड़ करके चार और कई बार पाँच तक बैठ जाते हैं
आप चाय लेने, पानी पीने या फिर हाजत के लिए उठ कर जाते हैं
आ के पता चलता कोई दूसरे भाई साहब
आपकी जगह ले चुके हैं !
इसलिए विधा कोई भी हो
लोग पहले सरपरस्त ढूँढते हैं
बाद में रचनात्मक कार्य की शुरुआत करते हैं .
सरपरस्त है तो आप सुरक्षित हैं
बुलंदी के सोपान पर चढ़ने का रास्ता सहज हो जाता है
आप को आसानी से
कोई गिरा नहीं सकता .
सरपरस्ती हासिल करना ज़रा ट्रिकी है
पहले काफ़ी बेगार करनी पड़ती है ,
अपने सरपरस्त के लिए भाषण लिखने पड़ेंगे
सभा के लिए भीड़ लानी पड़ेगी
उनके विपक्षियों के लिए आपको डाबरमैन बनना पड़ेगा .
उनके नाम से
उपन्यास, कविता संग्रह या फिर पेंटिंग बनानी पड़ेंगी
इसके बदले आप को पुरस्कारों से नवाज़ा जाएगा
शाल, श्रीफल, पुरस्कार राशि मिलेगी
मलाईदार पद आसानी से आप की ज़ेब में होंगे
हाँ साथ में अगर नहीं होगा तो आपका ज़मीर
कई लोगों तो यह भी पूछ सकते हैं
ज़मीर किस चिड़िया का नाम है?
- प्रदीप गुप्ता
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