Hindi Poetry : एक कविता कविता के बारे में .

एक कविता कविता के बारे में .

कवितायें 
होने और ना होने के बीच के दस्तावेज़ हैं 
जब यह आम आदमी के दुःख दर्द का बयान करती है 
जब ये ज़ुल्म के खिलाफ आग उगलने लगती हैं 
जब ये ग़रीब अमीर के बीच खाई पर तंज कसती हैं 
युगदृष्टाओं को अपना रास्ता बदलने पर 
मजबूर कर देती हैं 
ठिठक जाते हैं इनके कारण 
न्यायधीशों के क़लम कोई ग़लत फ़ैसला लिखने से पहले. 
इन्हें पढ़ कर ही हमारे आपके बीच 
पैदा होते हैं भगत सिंह
इन्हें पढ़ कर बदल जाते हैं 
निज़ाम .
पर जिस दिन इनमें से आने लगती है 
चाटुकारिका की दुर्गन्ध 
समझ लेना 
ये कवितायें नहीं रह गई हैं . 
                 - प्रदीप गुप्ता 


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