Hindi Poetry : अपने अपने घेरे के राजा.

अपने अपने घेरे के राजा. 
मैंने ज़मीन पर अपने इर्द गिर्द घेरा खींच दिया है 
अब मैं भी राजा हूँ .
जो मेरी धारणा है 
जो मैंने सोच लिया है 
उससे इतर इस घेरे में कुछ नहीं आने दूँगा .
तुम अब तक मेरे कमतर होने का मजाक बनाते थे 
वह अतीत की बात हो गयी  है. 
दुनिया का विस्तार 
दूर के देशों की बोली 
खान पान , वेशभूषा , रीति रिवाज 
मेरे इस घेरे में प्रवेश नहीं कर सकते 
क्योंकि अब मैं ही तय करूँगा
क्या खाऊँ , पीयूँ , पहनू , क्या सोचूँ , क्या देखूँ,क्या बोलूँ   
अब मैं यहाँ का राजा हूँ .
तुम्हें इससे क्या परेशानी है ?
यह क्या ?
तुम लोग मुझे लक्षित करके पत्थर क्यों उछाल रहे हो ?
इस क़िस्म के घेरे में रहने वाले लोग बहुत बढ़ गए हैं 
फ़रक यह है 
मेरा घेरा बहुत छोटा है 
उनके घेरे बहुत बड़े बड़े हैं .
तुम भी अपने इर्द गिर्द ऐसा ही घेरा खींच लो
तुम्हारे दुखों का भी अंत हो जाएगा
दुनिया की किसे पड़ी है .
                  -प्रदीप गुप्ता 



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