Hindi Poetry : इकबलिया बयान.........

इकबलिया बयान.........
जी हाँ हुज़ूर,
मैं गुनहगार हूँ 
इससे पहले कि 
त्रोल आर्मी मेरे गुनाह खोजना शुरू करे 
मैं ख़ुद क़बूल कर लेती हूँ .
पहला गुनाह तो मेरी पैदाइश है 
हालाँकि इसमें थोड़ा क़सूर उस डाक्टर का भी है 
जो  गर्भ में मेरा सेक्स सही सही तय नहीं कर पायी 
नहीं तो मेरे पिता मुझे पैदा होने ही नहीं देते 
फिर दूसरी हिमाक़त अपने भाइयों से बराबरी करना थी 
माँ बाप से लड़ झगड़ के उसी स्कूल में पढ़ने  गई
जिसमें भाई पढ़ते थे 
तीसरी हिमाक़त पढ़ाई करना था 
भाई फ़ेल होते गए मैं टॉप करती गयी 
माँ कोसती थी इतनी पढ़ी लिखी लड़की को जात में कौन लड़का मिलेगा 
अगला गुनाह माँ बाप की इच्छा के ख़िलाफ़ नौकरी करने चली गयी 
लिस्ट लम्बी है 
जात के बाहर शादी की 
घर वालों ने सम्बंध तोड़ लिए 
यही ग़नीमत थी कि मेरे घरवाले के हाथ पैर नहीं तोड़े. 
अगली ग़लती वोट डालने की थी 
वोट माई बाप माँ क़सम आप को ही डाला था.
मंदी में नौकरी छूट गई
मेरा कोई गुनाह नहीं था . 
मेरा सबसे बड़ा गुनाह यह है 
इस बारे में माई बाप सवाल पूछ लिया.
                     -प्रदीप गुप्ता

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